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मागमधरसरि
- पूज्य भागमाद्धारकश्रोने कहा, "होगा। परन्तु आपने इस में लिखा है कि "हमारे राजनगर के श्री संघने मुनिसम्मेलन करना निश्चित किया है, अतः आप सब पूजनीयों को मुनिवरों के साथ यहाँ पधारनेका अनुरोध है ।" इस इबारत में मुनियों पर श्रावक संघकी आज्ञाका बोध होता है, अतः इसमें औचित्य नहीं लगता । आपको भी यह उचित मालूम होता है ? आमत्रण-पत्रिका में ऐसा लिखना चाहिए कि श्रमण संघने मुमिसम्मेलन करना निश्चित किया है, अतः हम अहमदाबाद के संघ की ओर से निवेदन करते हैं कि हमारे अहमदाबाद की भूमि पर सम्मेलन कीजिये ।”
नगरसेठ चतुर एवं दीर्घ दृष्टिवाले सुश्रावक थे अतः तुरन्त समझ गये। प्रारूप में सुधार किया गया, आमत्रणपत्रिकाएँ छषवाई गई और प्रत्येक स्थान पर पहुंचाई गई। .. अहमदाबाद का हर्ष. ..
- यह पत्रिका पढ़ कर राजनगर के श्री संघ को अपार हर्ष हो रहा था । 'मुनिप्रवर विहार करके धीरे धीरे अहमदाबाद पधारने लगे । नियत समय पर बहुत सारे मुनिमहाराज भा पहुँचे थे। ..... पू. भागमाद्धारकश्रीजी के आगमन के पूर्व आचार्य देव श्री विजयनेमिसूरीश्वरजी महाराज पधारे थे। जब पूज्य आगमोद्धारकश्री पधारनेवाले थे तब पूज्य आचार्य देव श्री विजयनेमिसूरीश्वरजी महाराजने उन्हें लेनेके लिए अपने शिष्यों को-आचार्य विजयोदयसूरिजी आदि साधु भगवंतों को-सुतरिया बिल्डींग के बाहर सड़क पर अगवानी के लिए भेजा था । ज्योंही · आगमाद्धारकधी सुतरिया बिल्डींग के पास पहुँचे त्यांही आचार्यदेव श्री विजयनेमिसूरीश्वरजी महाराज उन्हें लेने