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भागमधर सरि
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हुए उपद्रव्य आदि के विषय में क्या किया जाय ? इस हेतु से एकता की परम आवश्यकता भी ।
पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजयने मिसूरीश्वरजी महाराज, पूज्य आगमोद्धारक श्रीजी आदि आचार्य भगवतों का एवं श्री राजनगर अहमदाबाद के नगरसेठ श्री कस्तुरभाई मणिलाल आदि सुश्रावके का सभी मुनिवरें का एक स्थान पर एक मुनि सम्मेलन आयोजित करने का विचार आया करता था । इस विचारधारावाले महानुभावों ने विचार कर मुनिसम्मेलन कराने का निर्णय किया ।
प्रारूप का हल
इस कार्य का नेतृत्व श्री कस्तुरभाई मणिलाल ने किया । उन्होंने बड़े बड़े आचार्यों से मिलकर उनकी सम्मति तथा आशीर्वाद प्राप्त किये । वे उन्हें आमंत्रण-पत्रिका का प्रारूप बताते और साथ ही अहमदाबाद पधारने की बिनती कर आते। अब तक सभी आचार्यो ने मुनि- सम्मेलन करने में सहमति प्रकट की और अहमदाबाद आने के विषय में आशास्पद भाव प्रकट किया ।
आखिर में पूज्य आगमोद्धारक श्रीके पास पुनः गये । उन्हें आमंत्रण पत्रिका का प्रारूप पहले नहीं बताया था से। अब बताया और अहमदाबाद पधारने की प्रार्थना की। पूज्य आगमे। द्वारक श्री ने प्रारूप पढ़ कर तुरन्त कहा कि यह प्रारूप ठीक नहीं है ।
नगर सेठ विचार में पड़ गये । कहने लगे, "महोदय । सभी आचार्यों से पढ़वा कर यहाँ लाया हूँ, सब ने इसे मान्य रखा है "