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प्रागमधरसरि
पूज्यपाद भागमोद्धारकजी ने ये समाचार जानकर नाटक कंपनी के विरुद्ध आन्दोलन शुरू किया। सुधारकों ने बहुत सामना किया परन्तु पूज्यनी के आन्दोलन के सामने उनकी एक न चली। इस तरह उक्त नाटक के जन्मोत्सव से पहले ही उसकी मृत्यु हो गई।
इस चर्चा-प्रकरण की अवधि में महाराजश्री के चातुर्मास सूरत तपाई में हुए।