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भगमधर सूरि
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कॉन्फरन्स परिवर्तनवादी, स्वच्छन्दी,
भौतिकवादी
संस्था थी ।
गुणधर्म वाले
व्यक्तियों को
वह अपने अध्यक्ष भी इसी तरह के भौतिक बनाती थी, और इस तरह शासन की इमारत की नींव हिला डालने का प्रयत्न करती रहती थी । उसके विरुद्ध उपर्युक्त तीने! संस्थाओंने जबरदस्त मोर्चा लिया । सभाएँ की गई और उनमें दीक्षा आदि विषयों पर शास्त्रीय प्रस्ताव स्वीकृत किये गये । परन्तु कॉन्फरन्स की शक्तिने संघकी सुरक्षित एकता का नाश किया। संघ के दो विभाग बन गये, एक परंपरा प्रेमी शास्त्रीय वर्ग और दूसरा भौतिकवादी अशास्त्रीय वर्ग |
शास्त्रीय तत्त्वां तथा शास्त्रीय
श्री
आगमे । द्धारकजी के द्वारा
इस अवसर पर श्री संघ को नियमों की जानकारी मिले, साथ ही चर्चास्पद बातों का विश्लेषण भी जानने पवित्र आशय से 'सिद्धचक्र' नामक पाक्षिक पत्र शुरू हुआ ।
और
समझने को मिले इस
नाटक न टिका
बम्बई के कुछ सुधारक लोग साधु संस्था और पवित्र दीक्षा को बदनाम करने के अनेक प्रयत्न करते थे । इसलिए उन्होंने 'नवयुग नाटक समाज' नामक एक निम्न कोटि की नाटक कंपनी बनाई। इस कंपनी ने 'अयोग्य दीक्षा' नामक नाटक अभिनीत करने का विज्ञापन किया । यह नाटक एकदम कल्पित था, साधु संस्था को नीचा दिखाने और बदनाम करने की मलिनतम भावना से ही इसका आयोजन किया
गया था।