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आगमधरसुरि
१.३
तीर्थों के उद्धार और सुरक्षा के लिए भी उचित कार्यवाही करते हुए पूज्य श्री मरुधर-भूमि में गये। वहा सादड़ी नगर में चातुर्मास किया।
बंगाल से यही आते हुए मार्ग के गांवों में मूर्तिपूजा न माननेवाले के साथ चर्चा होती, दिगंबरे के साथ भी चर्चा होती थी। उस में विजय पताका फहराते हुए सादड़ी नगर पधारे थे। यहाँ के भाग्यवान् श्रावकों ने एक 'महा उपधान तप' कराया था जो मारवाड़ में अद्वितीय माना गया था।