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बारहवाँ अध्याय
मध्य भारत के शैलाना - नरेश को प्रतिबोध --
मालवा की ओर
पूज्यपाद आगमाद्धारक आचार्य श्री विहार करते हुए मालवा की ओर पधारे । इस प्रदेश में शैलाना एक स्वतन्त्र रियासत थी । पूज्य पादश्री विहार करते करते इस राज्य में पधारे । उपाश्रय में एक दिन उनका व्याख्यान हुआ ।
महाराजश्री शैलाना-मरेश को महामंत्री से खबर मिली कि गुजरात प्रदेश से कोई महात्मा पुरुष पधारे हैं, और वे बड़े त्यागी, निःस्पृही तथा विद्वान् हैं अतः नरेश को उनका वन्दन करने जाने की इच्छा हुई । दूसरे रोज अपने मंत्रीमंडल - सहित वन्दनार्थ गये । वहाँ उन्होंने पूज्य श्रीको वन्दनादि करने के पश्चात् अपने महल में स्थित हॉल में व्याख्यान देने की प्रार्थना की। पूज्यश्रीने आध्यात्मिक लाभ देख कर यह बात मंजूर की ।
दूसरे दिन राजमहल के हॉल में व्याख्यान था अतः राजकीय अधिकारी, स्थानीय विद्वान् और धनवान् लोग भी पधारे । शैलाना नरेश भी पधारे । पूज्यश्रीने व्याख्यान दिया, जो शैलाना नरेश को बहुत ही पसंद आया ।