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मागमधरसूरि
विरोध है। ऐसा विरोध करना शाम की भाज्ञा है। मैं कोई अपराध नहीं कर रहा हूँ।" ...... इस में से एक विराट शक्ति पैदा हुई और पवित्र गिरिराज श्री विखरजी पर आवास बनाने की योजना ब्रिटिशरों को विवश होकर छोड़ देनी पड़ी।
पूज्य आगमोद्धारक महोदय तथा अन्य स्थानो के श्री संघ की सलाह से श्री आणदजी कल्याणजी की पेढ़ी ने 'श्री शिखरजी पर्वत' खरीद लिया। पूज्य आगमाद्धारक महाराज साहब के नेतृत्व में एकत्रित जैनेकि संघबल का ही यह परिणाम था ।