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मागमधरसरि
" आज शासन निस्तेज हो गया है, उसका कारण है हमारा प्रमाद, और उत्साहहीनता । तुम सब जाग उठो, आगे कदम बढाओ । कटिबद्ध हो कर कार्यारम्भ करो । यह जीवन खाने पीने के लिए नहीं बल्कि शासन की खातिर शहीद होने के लिए है। कायर लोग जगत में अच्छी तरह से न जी सकते है न मर सकते है। आप सब यहाँ एकत्रित हुए हैं तो एक शुभ संकल्प कर के जाइये कि शासन की सुरक्षा के लिए हम अपने प्राणों की बलि देने में भी नहीं हिचकेंगे। हम शासन के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर देंगे। हम मरण का वरण करेंगे परन्तु शासन को निस्तेज नहीं होने देंगे।
पन्यास प्रवर मुनीश्वर के व्याख्यान का जादू का सा प्रभाव पड़ा। एक प्रकार की गर्मी आ गई। परिषद के प्राण तेजस्वी बन गये। वोर निर्वाण संवत् २४३१ के वर्ष की पेयापुर की परिषद सफलता पूर्वक सम्पन्न हुई।
कपड़वंज की ओर हमारे चरित्रनायक मुनीश्वर के जन्म से पवित्र और ख्यातिप्राप्त कपड़वंज के जैन. श्री संघ के अप्रणियों ने पूज्य-प्रवर मुनीश्वर को कपड़वज पधारने का हार्दिक आमन्त्रण दिया। ____ मुनीश्वर ने कहा-"क्षेत्र स्पर्शना।" विचरण करते करते कपड़वज के किनारे आ पहुंचे हैं-ऐसे समाचार नगर में फैल गए। तुरन्त स्वागत की तैयारी के साथ संपूर्ण स्थानीय जैन संघ नगर के बाहर उमड़ पड़ा। संघ को गर्व था कि हमारे गाँव का लाडला आज शासन का विजयी रत्न सिद्ध हुआ है। नगर की सुन्दर नारिया विधाता पर वारी जाती थी, इस महापुरुष को सच्चे मातियों से बचाती थी।