________________
आठवा अध्याय
मोहमयी में निर्माही हेमन्त के पश्चात् शिशिर और पतझड़ की ऋतु आती है। जब पूज्य मुनीश्वर के विहार की घोषणा हुई तो सूरत में पतझड़ का सा धुंधला वातावरण हो गया। लोक-हृदय में अरमानों के पत्ते झड़ने लगे। सूरत-वासी सोचने लगे कि सन्त के बिना वसन्त उजाड़ मालूम होगा। पृ. आगमोद्धारक को रोकने के अनेक प्रयत्न किये गये, परन्तु यदि मुनीश्वर रुक जाएँ तो अतिबद्ध विहारी कैसे कहला सकते हैं ? मुनीश्वर श्री आगमाद्धारक ने विहार किया। सूरत की जनता अपने कंठ के हार को जाते देख कर उदास हो गई।
. मोहमयी -- मुंबादेवी पर से शहर का नाम 'मुंबई' हुआ। (हिन्दी में इन्हें 'बम्बादेवी' और 'बंबई' कहते हैं ।) इस शहर की रचना इतनी आकर्षक है कि वहाँ आनेवाले का वहाँ से लौटने को मन नहीं करता। वहाँ पर पंचरंगी लोग मेलजोल से रहते हैं। उनकी रग रग में रंगराग भरा हुआ है। जहाँ जैन जाते है वहाँ व्यापार फूलता-फलता है ऐसा अन्योन्याश्रित सम्बन्ध है। इस नगर में व्यापार खूब तेजी से चलता है, अतः इस नगरी का 'मोहमयी' नाम सार्थक है।
मुनीश्वर श्री भागमोद्धारक जी ने सोचा कि बंबई के लोग और विशेषतः वहाँ के जैन लोग यदि रंगराग के रंग में रंग जाएँगे तो