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मागमधरसरि
ज्ञान और तत्त्वज्ञान .. व्यावहारिक ज्ञान के अध्यापक से हेमचन्द्र व्यावहारिक ज्ञान बीच रहा था, साथ ही गुरुदेवों से अध्यात्म-सम्बन्धी ज्ञान भी प्राप्त कर रहो था। उपाश्रय में या उपाश्रय के बाहर कहीं भी किसी तत्वज्ञानी या वैरागी पुरुष के आगमन के समाचार मिलते ही तुरन्त हेमू वहाँ पहुँच जाता। मौन रह कर उनकी चर्चा सुनता। कुछ पूछने की इच्छा होने पर धीरे से पूछता और यदि अच्छी तरह समझ में म आता तो 'हा' न कहता परन्तु पुनः समझानेकी प्रार्थना करता। . हेमू की उन्न तो अमी कुल ग्यारह वर्षकी थी परन्तु उसकी ज्ञानपिपासा तथा तत्वजिज्ञासा प्रौढों की सी थी ! वह कभी कभी विचारों में ऐसा तल्लीन हो जाता था मानो पूर्वजन्म में कोई समाधि सिद्ध किया हुआ महायोगी हो।
.. उसकी विचार-शक्ति और तर्कशक्ति देख कर मातापिता को हर्ष हो इसमें तो भाचर्य ही क्या ! परन्तु जिन्हें भी उसकी इस शक्ति का साक्षात्कार होता वे भी आश्चर्यमुग्ध हो जाते !