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आयंबिल तप को चन्दन नाम के एक भाग्यशाली पुरुष ने आराधन किया। उससे वह भाग्यशालो चंदन महाराजा श्रीचन्द्र हुए । वे ही श्री चन्द्रराज महाराज्य के सुख भोग को पाकर उतरोत्तर मोक्ष सुख के अधिकारी हुए। ___ महाराजा चेटक ने बड़े विनीत भाव से श्री गौतम स्वामी जी से पूछा भगवन् !-श्रीचंद्रराज महाराजा के हुए ? उनके पवित्र चरित्रामृत का पान आप श्री के पुनीत मुखारविन्द से करने की हमारी उत्कट अभिलाषा है। क्या आप दयालु हम पर दया करके फरमायेंगे ? इस प्रार्थना को लक्ष्य करके श्री गुरु गौतम स्वामी जी महाराज ने जो श्री चंद्र चरित्र फरमाया उसका पाठक अगले अंकों में रसास्वाद लें।