________________
अक्षर यदि असंयुक्त हों और आदि में नहीं हों तो विकल्प से उनका लोप होता है। ष० ख० में उनके कुछ उदाहरणक-लोप--सर्वलोके सव्वलोए (१,३,७)।
प्रासुक - पासुअ (३-४१)। एकः= एओ (४,१,६६)। लोके = लोए (१,१,१ तथा ४,१,४३)।
एकेन्द्रिया:---एइंदिया (१,१,३३)। ग-लोप-प्रयोगकर्म-पओअकम्म (५,४,४ व १५,१६) ।
त्रिभागे तिभाए, तिभागे (५,६,६,४४) ।
प्रयोगबन्धः--पओअबंधो (५,६,२७ व ३८)। च-लोप-अप्रचुरा:- अपउरा (५,६,१२७) । ज-लोप--मनुजलोके -मणुअलोए (५,५,६४)। . त-लोप-गति --- गइ (१,१,२ व २,१,२)।
चतुःस्थानेषु - चउट्ठाणेसु (१,१,२५) । चतुर्विधम् . चउव्विहं (१,६-१,४१ व ५,५,१३१) । तिर्यग्गतौ :-तिरिक्खगईए १,२,२४) । मनुष्यगतौ-मणुसगईए (१,२,४०) ।
वनस्पति = वणप्फइ (१,१,३६ व ४१)। द-लोप-मृदुकनाम-- मउअणाम (१,६-१,४० व ५,५,१३०) । प-लोप--विपुल- विउल (४,१,११ तथा ५,५,७७; ८६ व ६४)। य-लोप-कषायी-- कसाई (१,१,१११-१३)।
क्षायिक-- खइय (१,१,१४४-४५) । वायु-वाउ (१,१,३६-४०)। सामायिक -- सामाइय (१,१,१२३ व १२५) । आयुः आउअं (१,६-१,६)। आयुषः । आउगस्स (१,६-१, २५)। आयुषः.... आउअस्स (५,५,११४ व ११५) । प्रयोगबन्धः पओअबंधो (५,६,२७ व ३८) । अनुयोगद्वाराणि - अणिओगद्दा राणि (४,२,५,१ व ५,६,७०) ।
समये-समए (४,१,६७)। ८. ऊपर जिन क, ग आदि वर्गों का विकल्प से लोप दिखाया गया है उनका लोप होने पर जो अ-वर्ण शेष रह जाता है वह त्रि० प्रा० शा० सूत्र १,३,१० के अनुसार क्वचित् य श्रुति से युक्त देखा जाता है । ष० ख० में उदाहरणक-लोप में-तीर्थकर -- तित्थयर (१,६-१,२८; १,६-६,२१६ व ३-३७,३६,४०,४१)।
साम्परायिक -सांपराइय (१,१,१७ व १८ तथा १,२,१५१) । पृथिवीकायिक - पुढविकाइय (१,१,३६ व ४०)। सामायिक सामाइय (१,१.१२५ तथा १,२,७६)।
षटखण्डागम : पीठिका/ २३
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org