Book Title: Samkit Pravesh - Jain Siddhanto ki Sugam Vivechana
Author(s): Mangalvardhini Punit Jain
Publisher: Mangalvardhini Foundation
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________________ शुद्धातम है मेरा नाम शुद्धातम है मेरा नाम, मात्र जानना मेरा काम, मुक्तिपुरी है मेरा धाम, मिलता जहाँ पूर्ण विश्राम। अर्थ- आपके पिछले सवाल के जवाब में कवि कहते हैं कि मैं शुद्ध आत्मा हूँ। मेरा काम सिर्फ जानना है। और मेरा असली घर मोक्ष है जहाँ सिद्ध भगवान रहते हैं, क्योंकि वहीं पूर्ण व सच्चा सुख मिलता है। प्रवेश : पूर्ण व सच्चा सुख किसे कहते हैं ? समकित : इस सवाल के जवाब में कवि कहते हैं: जहाँ भूख का नाम नहीं है, जुहाँ प्यास का काम नहीं है, खाँसी और जुखाम नहीं है, आधि-व्याधि का नाम नहीं है, सत् शिव सुंदर मेरा धाम। अर्थ- सच्चा व पूर्ण सुख उसे कहते हैं, जहाँ भूख-प्यास आदि की तकलीफ (आकुलता) नहीं है, सर्दी-जुखाम आदि कोई बीमारी नहीं है। न कोई मानसिक बीमारी (कष्ट) है न ही शारीरिक। ऐसा सच्चा व पूर्ण सुख तो मोक्ष में ही मिलता है इसलिए मोक्ष ही सत्य है, हमारा भला करनेवाला (शिव) है और सबसे सुंदर है। प्रवेश : ऐसे मोक्ष को पाने का उपाय क्या है ? समकित : इस सवाल के जवाब में कवि कहते हैं: स्व-पर भेद विज्ञान करेंगे, निज आतम का ध्यान करेंगे, 1.mental 2.physical