Book Title: Panchsangraha Part 05
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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( ५५ )
गाथा १८४,
१८५
वेदत्रिक के दो स्पर्धक होने का कारण सहित विशेष
वर्णन
परिशिष्ट
पल्योपम सागरोपम की स्वरूप व्याख्या
अपवर्तनीय अपवर्तनीय आयु विषयक दृष्टिकोण
मूल गाथाएँ
उदीरणा विषयक स्पष्टीकरण
दिगम्बर साहित्यगत मोहनीयकर्म के भूयस्कार आदि बंध प्रकारों का वर्णन
१८
दिगम्बर कर्म साहित्यगत नामकर्म के भूयस्कार आदि बंध प्रकारों का विवेचन
४८२-४८५
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दिगम्बर साहित्यगत आयुबंध सम्बन्धी अबाधाकाल का स्पष्टीकरण
४८२
१ - ७४
१
१६
कर्म प्रकृतियों की जघन्य स्थितिबंध विषयक मत भिन्नताएँ आयु और मोहनीय कर्म के उत्कृष्ट प्रदेश बंध स्वामित्व विष यक विशेष वक्तव्य
मूल प्रकृतियों के बंधादिस्थान भूयस्कार आदि प्रकार प्रत्येक कर्म की उत्तर प्रकृतियों के बंधादि स्थानः भूयस्कार आदि प्रकार
समस्त उत्तर प्रकृतियों के बंधादि स्थान : भूयस्कार
आदि प्रकार
गाथा -- अकाराद्यनुक्रमणिका
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