Book Title: Panchsangraha Part 05
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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पंचसंग्रह : ५
एक-एक प्रदेश का अपहरण करते करते जितने समय में समस्त प्रदेशों का अपहरण हो जाये उतने समय को बादर क्षेत्र पल्योपम काल कहते हैं ।
यह काल असंख्यात उत्सर्पिणी और असंख्यात अवसर्पिणी काल के बराबर होता है । ____दस कोटाकोटि बादर क्षेत्र पल्योपम का एक बादर क्षेत्र सागरोपम काल होता है।
(६) सूक्ष्म क्षेत्र पल्योपम-सागरोपम–बा दर क्षेत्र पल्य के बालानों में से प्रत्येक के असंख्यात खंड करके उन्हें उसी पल्य में पूर्व की तरह भर दो। उस पल्य में वे खंड आकाश के जिन प्रदेशों का स्पर्श करें और जिन प्रदेशों का स्पर्श न करें', उनमें से प्रति समय एक-एक प्रदेश का अपहरण करते-करते जितने समय में स्पृष्ट और अस्पृष्ट सभी प्रदेशों का अपहरण किया जा सके, उतने समय को एक सूक्ष्म क्षेत्र पल्योपम काल कहते हैं ।
दस कोटाकोटि सूक्ष्म क्षेत्र पल्योपम का एक सूक्ष्म क्षेत्र सागरोपम होता है।
इन सूक्ष्म क्षेत्र पल्योपम और सूक्ष्म क्षेत्र सागरोपम के द्वारा दृष्टिवाद में द्रव्यों के प्रमाण का विचार किया जाता है ।
इस प्रकार से श्वेताम्बर साहित्य में पल्योपम और सागरोपम की व्याख्या की है । दिगम्बर साहित्य में भी पल्योपम और सागरोपम काल का वर्णन किया गया है। वह यहाँ किये गये वर्णन से कुछ भिन्न है। जैसे कि उसमें क्षेत्र पल्योपम नाम का भेद नहीं है और न प्रत्येक के बादर और सूक्ष्म ये भेद किये हैं।
१ प्रस्तुत पल्योपम से दृष्टिवाद में द्रव्यों के प्रमाण का विचार किया जाता
है । उनमें से कुछ द्रव्यों का प्रमाण तो उक्त बालानों से स्पृष्ट आकाश प्रदेशों द्वारा ही मापा जाता है और कुछ का प्रमाण आकाश के अस्पृष्ट
प्रदेशों से मापा जाता है। इसीलिए दोनों का संकेत किया है ।। २ अनुयोगद्वारसूत्र १४० ।
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