Book Title: Panchsangraha Part 05
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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२५८
पंचसंग्रह : ५
क्रम
प्रकृतियां
उत्कृष्ट अनुभागबंध ___के स्वामी
जघन्य अनभागबंध
के स्वामी
ज्ञानावरणपंचक, दर्श- मिथ्यादृष्टि अति | सूक्ष्मसंपरायगुणस्थान नावरण चतुष्क, अंत- संक्लिष्ट पर्याप्त संज्ञी | वाला क्षपक चरम रायपंचक
समयवर्ती
निद्रा, प्रचला
क्षपक, अपूर्वक रणवर्ती स्वबंधविच्छेद के समय
| स्त्यानद्धित्रिक, मिथ्यात्व, अनन्तानुबंधि चतुष्क
अनन्तर समय में क्षायिक सम्यवत्व तथा संयम को प्राप्त करने वाला मिथ्यात्वी
अप्रत्याख्यातावरणकषायचतुष्क
अनन्तर समय में संयम को प्राप्त करने वाला अविरतसम्यगदृष्टि
प्रत्याख्यानावरणकषायचतुष्क
अनन्तर समय में सर्वविरति प्राप्त करने वाला देशविरति
६ | संज्वलनकषाय चतुष्क
अनिवृत्तिबादरसंपरायी क्षपक, बंधविच्छेद के
समय
७ | हास्य, रति
तत्प्रायोग्य संक्लिट क्षपक अपूर्वकरण मिथ्यात्वी पयाप्त संजी| चरमसमयवर्ती
८ अरति, शोक
अति संक्लिष्ट मिथ्या. अप्रमत्ताभिमुख प्रमत्त पर्याप्त संज्ञी । यति
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