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गांधार-तक्षशिला प्रदेश में जैनधर्म
११३ ६. काश्मीर-यह बहुत विस्तृत देश है और आज भी इसी नाम से प्रसिद्ध है । इसका प्राचीन नाम काश्यपपुर था।
७. पुछ—यह छोटा सा प्रदेश है। पश्चिम में जेहलम नदी, उत्तर में पीरपांजाल की पर्वत मालाएं, दक्षिण और अग्निकोण में राजौरी का प्रदेश ।
८. राजपुरी-राजौरी का प्रदेश यह काश्मीर की दक्षिण तथा पुनाक (Punach) की अग्निकोण में है।
६. ढक्क -यह वाहिक प्रदेश कहलाता था । एक समय यह गुर्जर प्रजा के राज्य का एक भाग था। ढक्क लोग महाबलवान प्रजा थी। इनका निवास चनाब (चंद्रभागा) नदी के समीप था। मगधदेश का राजा श्रेणिक (बिंबसार) वाहिक था ।
१०. छिन्नपति --रावी से सतलुज नदी के बीच का प्रदेश । कनिंघम इसकी राजधानी चिने (Chine) अथवा चिनीगरी (Chinigari) बतलाता है। जिसका स्थान अमृतसर से उत्तर दिशा में ११ मील की दूरी पर था । (देखें Arch Servey Vol XIV)
११. जालंधर--जालंधर, काँगड़ा प्रदेश ।
१२. कूल्लट - कुल का देश व्यास नदी के उत्तर भाग में। इस प्रदेश का काल्ट अथवा कोलक भी कहते थे।
१३. शताद्र -कनिंघम के मत से लाड़काना जिला है। इसका क्षेत्रफल लगभग ४०० माइल का था।
१४. पर्वत–पाणिनी के मत से जम्मू-स्यालकोट का पार्वतीय प्रदेश था। यह प्रदेश पंजाब देश में तक्षशिला आदि समूह का एक पार्वतीय भाग था (इ० एटी० Vol.I.P.P. 22)।
१५. पारियात्र-सतलुज (शताद्र) की नैऋत्य कोण में ८०० ली दूर का प्रदेश । बठिंडा, रिवाड़ी प्रादि का प्रदेश । उस समय गांधार जनपद में सम्राट पुतुसाकी का राज था।
इस प्रकार समय-समय पर गांधार जनपद की सीमाएं और राजधानियां भी बदलती रही हैं। प्राचीन साहित्य में इसकी राजधानियों के पाठ नाम मिलते हैं।
१. पुष्कलावती, २. तक्षशिला, ३. पुरुषपुर, ४. पुख्खली, ५. पुण्ड्रवर्धन, ६. पण्हवाहण, ७. प्रश्नवाहन और ८. शाकम्भरी।
१. पुष्कलावती की पहचान 'चारसद्दा' से की जाती है। (ए. गाइड टू स्कल्पचर्स इन इंडियन म्युजियम भाग ११ पृष्ठ १०४)। २. पुरुषपुर-~-वर्तमान में पेशावर के नाम से पहचाना जाता है (वही पृष्ठ १०४)
३. पुंड्रवर्धन-भगवान महावीर के समय में पुण्ड्र जनपद का जैन राजा नग्गति नाम का था, उसकी राजधानी पुण्ड्र वर्धन थी। ऐसा वर्णन जैनागम उत्तराध्ययन सूत्र की नेमिचन्द्राचार्य कृत टीका अध्ययन ६ पत्र १४१ में पाया है। पुण्ड्रजनपद का नाम जैनागम भगवती सूत्र १५:३६ व समराइच्च-कहा ४:२७५ में भी पाया है।
__यह भी वस्तुतः पुष्कलावती का दूसरा नाम है । पुक्कुसाती गांधार देश का राजा मगधराज बिम्भसार (श्रेणिक) का समकालीन था । ज्ञात होता है कि इसकी राजधानी का नाम पुक्खली
४-जैनशास्त्रों में पुक्खली शब्द का प्रयोग हुआ है । (दशवकालिक चूणि पत्र २१२-१३)
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