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सामाना
सामाना प्रतिष्ठा संबंधी मूललेख श्री मिलका गम नमः
स्वास्सिम्वी वरों जिना एमः समागन गरे मीती साध सु केला एक दली ती म बसरे सुन सन १९९७९ की प्रः श्री श्री शांतिनाथ का जी के मंदर की प्रतिष्ठां कराई श्री श्रीका परत नगरी मुनिबध्यमविजयोन्यसमुनि ललित विजय मुनिगुरू विजय मुनिप्रताव विजयजी ने फूल चेदमाई तो हमे लाल मु० बलाद जिला कर नद बाद प्रतिष्ठा कराने के वीर श्री श्री श्री माधवी देवी भी बकाए बी राजमानची जीवतम
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ते के सुपुत्रः बालमुकंदसदाराम तीज के चंद गेराएँ बनारसी दास दाल तरत सदाराम के पुत्र सागर चंदनाचंद गोत्र गधि मे समा लगन गरे राज पाटिपॉटला का सबाल बसे है: तुहा नाव डाका है नीती माघ सुदी १.१९ बी की द. सदरात नवे त
उसी वर्ष यहाँ पर श्री श्रात्मानंद जैन महासभा का वार्षिक खुला अधिवेशन प्रसिद्ध देशभक्त व समाजसेवी श्री मणिलाल कोठारी की अध्यक्षता में हुआ ।
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मुख्य धर्मिष्ठ व कार्यकारी श्रावकों में श्री देवीचंद ( जंनमन्दिर में कई वर्ष मैनेजर रहे ); श्री रिखीराम ( इतिहास तथा तत्वों के मर्मज्ञ ) ; ला० सदाराम ( श्रीसंघ के २० वर्ष सेक्रेट्री व ८ वर्ष प्रधान रहे ); ला० बंसीराम ला० घंटाराम; श्री कुशलचंद व फुम्मनमल आदि नाम उल्लेखनीय हैं । इससे अगली पीढ़ी में श्री कुंदनलाल (श्रीसंघ के पाँच बार प्रधान); श्री साधुराम (श्रीसंघ के चार बार प्रधान ) ; ला० सागरचंद धूपवाले (श्रीसंघ के छः बार प्रधान व महासभा के कार्यकारी सदस्य ); ला० मुकंदीलाल (मंडी में उपाश्रय बनाकर श्रीसंघ को भेंट किया); ला० नाजरचंद (लेखक, कवि व गायक) तथा लाला चंबाराम आदि के नाम प्राते हैं ।
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लगभग १५० वर्ष पूर्व ला० सरधाराम व सदाराम परिवारों के पूर्वजों में से दो सगे भाईयों मौजीराम व कनौजीराम ने श्राजीवन संयम साधना अपने घर के ही एक अलग कमरे में की । दादाबाड़ी के पास इन दोनों की समाधियाँ हैं । तपागच्छीय यतियों की गद्दी यहाँ कई सौ साल तक
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