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यति ( पूज) भौर श्री पूज्य
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इनके शिष्य-प्रशिष्य सारे पंजाब में फैल गये । (सिंघ जनपद में इनका प्रवेश नहीं हो पाया और नही ढूंढ मत के साधुओं का आवागमन हो पाया ) और जहाँ-जहाँ वे गये उन्होंने अपनी स्थाई गद्दियाँ स्थापित कर लीं, वहाँ पर जैन उपाश्रय तथा जैन श्वेतांबर मंदिरों की स्थापना, निर्माण तथा उनमें जनप्रतिमाओं की स्थापना और प्रतिष्ठाएँ भी कीं। उनकी सेवा-पूजा-उपासना व्यवस्था भी सुचारू रूप से की।
(२.) यति विमलचंद्र को श्री पूज्य पदवी प्रदान'
विक्रम संवत् १८७१ माघ सुदि ५ भौम (मंगल) वासरे लौंकागच्छे हयवतपुर (पट्टी जिला अमृतसर) नगरे शुभस्थाने. श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री १०८ मत्पूज्याचार्य श्री विमलचन्द्र स्वामीजी की तेवड़ (पदवी प्रदान महोत्सव ) की । पट्टी के सब श्रावकों ने तेवड़ कराई । यति सर्व [अपने अनुयायी यतियों को क्षेत्र सौंपने का विवरण ] ।
४ क्षेत्र
१. प्रथम क्षेत्र - श्री मत्पूज्याचार्य विमलचन्द्र स्वामी जी :(१) होशियारपुर, (२) अम्बाला, (३) पट्टी, (४) वैरोवाल । २. लालू ऋषि = (१) जगरांवां, (२) रायकोट ।
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३. प्रानन्दरूप ऋषि = (१) मालेर कोटला, (२) गुज्जरवाल । X ४. पूज्य दीपचन्द ऋषि = (१) अमृतसर ( २ ) सनखतरा । X५. पूज्य रूपाऋषि = (१) पट्टी, (२) जालंधर, (३) लुधियाना । X ६. पूज्य दासऋषि = (१) अंबहटा, (२) अबदुल्लाखाँ की गढ़ी, (३) थोनेसर | ७. माणकऋषि = (१) फगवाड़ा, (२) जेजों, (३) टाँडा, (४) करनाल, (५) ढूडिया । ५
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८. मंगलऋषि = (१) जंडियाला गुरु ।
६. सह ऋषि = (१) अंबाला ( २ ) साढौरा |
१०. धर्माऋषि = (१) लाहौर ।
११. पूज्य दुनीचंद ऋषि ( बंसताऋषि के गुरु ) (१) गुजरांवाला |
१२. जहूरी ऋषि = (१) पटियाला, (२) सुनाम ।
१३. देविया ऋषि = (१) सामाना
१४. त्रिपुरऋषि = (१) राहों ।
१५. भवानिया ऋषि = (१) साढौरा | १६. श्रार्या धन्नोजी = (१) होशियारपुर | १७. श्रार्या लच्छमीजी = (१) वेरोवाल । १८. आर्या सुखमनी जी = (१) अंबाला ।
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1. यह विज्ञप्तिपत्र लाहौरी उत्तरार्ध लौंकागच्छीय श्रीपूज्य प्राचार्य विमलचन्द्र स्वामी ने अपनी प्राचार्य पदवी पाने पर यतियों के नाम लिखी ।
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( यह विज्ञप्ति पत्र श्री वल्लभस्मारक जैन प्राच्यशास्त्र भंडार - दिल्ली में सुरक्षित है) 2. निशान X वाले यति श्रीपूज्य जी से आयु में बड़े थे, दीक्षा पर्याय में भी बड़े थे इसलिये इस सूची में उन के नाम के आगे पूज्य शब्द का प्रयोग किया गया है ।
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