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मध्य एशिया और पंजाब में जैनधर्म
(४) एक बागीचे में यतियों (पूजों) की समाधियाँ हैं जहां चरणबिम्बों सहित वेदिकाएँ बनी हैं।
(५) जनाना और मर्दाना दो उपाश्रय हैं ।
(६) स्थानकवासियों के दो स्थानक हैं ।
१६ - पटियाला
(१) छोटा सा श्वेतांबर जैनमंदिर है । मूलनायक श्री वासुपूज्य जी हैं । वि० सं० १९८६ में नाभभाई बकील ने निर्माण कराया । इसका जीर्णोद्वार तपागच्छीय श्राचार्य श्री विजयप्रकाश चन्द्रसूरि ने कराया ।
(२) एक मंदिर यहाँ के राजाओं का बनवाया हुआ है । इस मंदिर में सभी हिन्दुनों और जैनों के इष्टदेवों की मूर्तियाँ हैं । जैनतीर्थ कर की प्रतिमा भी है ।
(३) स्थानकवासियों का स्थानक भी है । १७ - फ़ाज़िलका
(१) एक पंचायती श्वेतांबर जैन मंदिर है । मूलनायक श्री चन्द्रप्रभु हैं । इसका निर्माण श्रोसवाल श्री भेरूंदान सावनसुखा की प्रेरणा से वि० सं० १९६० में जैनश्वेतांबर पंचायत ने कराया था । इसकी प्रतिष्ठा वि० सं० २००१ में प्राचार्य श्री विजयवल्लभ सूरि ने की । (२) इस मंदिर में जगद्गुरु श्री हीरविजय सूरि तथा प्राचार्य श्री विजयानन्द सूरि की प्रतिमायें भी स्थापित हैं ।
(३) एक श्वेतांबर जैनमंदिर का निर्माण ओसवाल चाननराम सावनसुखा ने करवाकर इसकी प्रतिष्ठा वि० सं० १९६७ में कराई । मूलनायक श्री सुमतिनाथ प्रभु हैं ।
(४) एक जैन श्वेतांबर उपाश्रय है ।
१८ - मालेरकोटला
(१) श्वेतांबर जैन मंदिर है। मूलनायक श्री पार्श्वनाथ जी हैं । यह पूजों का मंदिर कहलाता है । इस मंदिर का निर्माण उत्तरार्ध लौंकागच्छीय यति श्री महताबऋषि जी ने वि० सं० १६०५ में करवाकर प्रतिष्ठा की थी । वि० सं० १९५० में इसका जीर्णोद्वार हुआ । (२) इस मंदिर में आचार्य विजयानन्द सूरि
तथा प्राचार्य विजयवल्लभ सूरि की प्रति
मायें भी विराजमान हैं । दादा श्री जिनकुशल सूरि के चरणबिम्ब भी स्थापित हैं ।
(३) पंचायती श्वेतांबर जैनमंदिर है। मूलनायक श्री पार्श्वनाथ हैं । आचार्य श्री विजयानन्द सूरि के उपदेश से वि० सं० १९४३ में लाला वस्तीराम- बालकराम अग्रवाल श्वेतांबर जैन ने इसका निर्माण कराया था ।
(४) यतियों (पूजों) की समाधियाँ भी हैं ।
(५) श्वेतांबर जैनउपाश्रय है ।
(६) स्थानकवासियों के दो स्थानक, एक जनाना और मरदाना है ।
(७) यहां पर यति की गद्दी भी थी । श्रब यति कोई नहीं है ।
मंदिरों आदि की सब व्यवस्था यहाँ का श्वेतांबर संघ करता है ।
१६ - रायकोट
(१) जैन श्वेतांबर मंदिर जिसमें मूलनायक श्री सुमतिनाथ भगवान हैं । इसका निर्माण
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