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मध्य एशिया और पंजाब में जैनधर्म
४. श्री पार्श्वनाथ उच्च माध्यमिक विद्यालय वरकाणा (राजस्थान) के प्रतिपालक, पूज्य श्री विजयललित सूरि महाराज ने ग्राम-ग्राम, नगर-नगर घूमकर सदृपदेश दिया। फंड एकत्रित करवाया। अति परिश्रम से केवल ६ विद्यार्थियों से इस संस्था की वि० सं० १९६३ माघ सुदि ५ को स्थापना की।
ग्रंथ लेखन १. महावीर सन्देश, २. श्री कुमारपाल चारित्र, ३. श्री हीरविजय सूरि चारित्र ४. श्री कल्पसूत्र का हिन्दी रूपांतर प्रादि ।
कला प्रेम संगीत साहित्य कला मर्मज्ञ, विविध राग-रागनियों का ज्ञान, मधुर कंठ स्वर, जब पाप पूजा पढ़ाते थे श्रोता रस मग्न हो जाते थे।
प्रवचन कला प्रभावकारी, व्याख्यान में विद्वता, सरलता तथा मधुरता का संमिश्रण। इस कला के कारण प्राप व्याख्यान वाचस्पति कहे जाते थे ।
महाप्रयाण (स्वर्गवास) वि० सं० २००६ माघ सुदि ६ खूडाल ग्राम में प्रातः ६-३० बजे प्रापका स्वर्गवास हो गया।
स्मारक प्रातः स्मरणीय कलिकाल कल्पतरु, अज्ञान तिमिर तरणि, पंजाब केसरी, भारत दिवाकर प्राचार्य श्री विजयवल्लभ सरिजी के शिष्य, परम गुरुभक्त, मरुदेशोद्धारक, प्रखर शिक्षा प्रचारक, प्राचार्य श्री विजयललित सूरि के कलात्मक स्मारक का शिलान्यास वि० सं० २०३३ श्रावण सूदि १५ सोमवार की मंगल प्रभात में श्री पार्श्वनाथ उम्मेद माध्यमिक विद्यालय फालना के आंगन में मुनि वल्लभदत्त विजय के सानिध्य में हुप्रा ।
आदर्शोपाध्याय श्री सोहनविजय जी काश्मीर की सुप्रसिद्ध राजधानी जम्मू में प्रोसवाल श्वेतांबर जैनों की बस्ती तथा सद्धर्म संरक्षक मूनिश्री बुद्धिविजय (बूटे राय) जी द्वारा स्थापित श्री महावीर प्रभु का श्वेतांबर जैन मंदिर भी है । इस मंदिर का जीर्णोद्धार होकर जिनशासन रत्न प्राचार्य श्री विजयसमुद्र सूरि द्वारा प्रतिष्ठा भी चार वर्ष पहले हो चुकी है।
१. काशमीर के महाराजा सर प्रतापसिंह के दीवान प्रोसवाल कुलभूषण दूगड़ गोत्रीय लाला विशनदास जी जैन कुशल राज्य मंत्री हो गये हैं।
२. गुजरांवाला के लाला हरभगवान जी मोसवाल दूगड़गोत्रीय भी इसी महाराजा के प्राईवेट महकमें में उच्चाधिकारी थे।
___ इसी नगर के प्रोसवाल दूगड़र गोत्रीय लाला निहालचन्द जी की धर्मपत्नी उत्तमदेवी ने वि० सं० १९३८ माघ सुदी ३ को एक पुत्र को जन्म दिया। बालक का म बसंतामल रखा। इस की एक बड़ी बहन भी थी उस का नाम बसंतादेवी था। इस का विवाह जंडियाला गुरु ज़िला
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