Book Title: Madhya Asia aur Punjab me Jain Dharm
Author(s): Hiralal Duggad
Publisher: Jain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi

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Page 581
________________ मध्य एशिया और पंजाब में जनधर्म बम्बई, मैसूर, बेंगलौर, मद्रास इत्यादि क्षेत्रों में विचरते हुए दिगम्बर सम्प्रदाय के गढ़ मूड़बद्री में पहुंचे वहां जानेवाली पहली श्वेतांबर जैन साध्वियां श्राप चारों ही हैं । बम्बई में सफलता सम्पन्न हुई बल्लभ शताब्दी में श्रापका सक्रिय योगदान रहा। चाहे श्राप उस समय बेंगलोर में थीं । बड़ौदा में आपने जिनशासनरत्न गुरुदेव की प्राज्ञा से साध्वी सम्मेलन कर आशीर्वाद प्राप्त किया और साध्वीवर्ग को समाज के कल्याण के लिये आगे आने की प्रेरणा दी । ५३२ दिल्ली में शासन पति भगवान महावीर की राष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार की तरफ से मनाई जाने वाली पच्चीसवीं निर्वाण शताब्दी को सफल बनाने के लिए आपने दिन-रात एक कर दिया | श्वेतांबर, दिगम्बर, स्थानकमार्गी, तेरापन्थी चारों जैन समुदायों के साधु-साध्वियों के साथ कई दिनों तक घंटों बैठकर श्वेतांबर संघ की ओर से राष्ट्रसन्त, जिनशासन रत्न, शांतमूर्ति प्राचार्य श्री विजयसमुद्र सूरीश्वर जी का प्रतिनिधित्व करती रहीं और गुरुदेव का मान बढ़े, जिनशासन की शोभा बने, बस यही धुन लिये प्राप कार्यरत रहीं और शताब्दी समारोह को सफल बनाया । 1 कर वल्लभ-स्मारक दिल्ली का काम कई वर्षों से रुका हुआ था, बहुत प्रयत्न करने पर भी किसी को सफलता नहीं मिल पा रही थी । किसी के बस की बात नहीं रही थी । श्राचार्य श्री विजयसमुद्र सूरि ने आदेश दिया कि यह कार्य प्राप करें। गुरु आज्ञा शिरोधार्य कर आप इस कार्य के लिये जुट गई । श्रापने इस कार्य को सम्पन्न करने के लिये मिष्ठान आदि का त्याग दिया और अनेक प्रकार के अभिग्रह धारण किये । अन्त में सफलता ने प्रापके चरण चूमे और दिल्ली में स्मारक बनाने के लिये जैन श्वेतांबर श्री संघ ने बहुत बड़ी जमीन सरकार से खरीद ली । श्रभिग्रह पूर्ण होने के पश्चात् प्रपने पारणा किया । परमगुरुदेव श्री विजयसमुद्र सूरीश्वर जी जब पंजाब से मुरादाबाद में जिनमन्दिर की प्रतिष्ठा कराने जा रहे थे तब उन्होंने आपको जगाधरी में आदेश दिया कि पंजाब की सार-संभाल लो । लुधियाना, लहरा और कांगड़ा के अधूरे रहे कार्य पूरे करो । गुरु का आप पर विश्वास आपके लिये शक्तिदायक बना । (१) वि. सं. २०१२ ( ई. सं. १९५५) में श्रात्मानन्द जैन महासभा पंजाब का अधिवेशन प्रापकी निश्रा में मालेरकोटला में हुआ । (२) लुधियाना श्राज पंचतीर्था बन गया है । सिविललाईन के जैनमन्दिर की प्रतिष्ठा तथा सुन्दरनगर के जैनमन्दिर का निर्माण प्रापकी प्रेरणा के ही फल हैं। पंजाब श्रीसंघ, पंजाब महासभा, लुधियाना श्रीसंघ, पंजाब महिलामंडल के सर्वसम्मत प्राग्रह से तथा प्राचार्य श्री विजय इन्द्र दिन्न सूरि की आज्ञा से सिविललाईन के मन्दिर की प्रतिष्ठा का सबकार्य नियत तिथि पर महत्तरा साध्वी जी की निश्रा में हुआ । प्रतिमानों की प्रतिष्ठा करते समय श्री मृगावती जी तथा गणि श्री जनकविजय जी दोनों ने वासक्षेप डाला । इस प्रतिष्ठा महोत्सव की फिल्म भी ली गई थी । (३) गुरु श्रातमधाम लहरा जो आतमगुरु का जन्मधाम है, वहां आपके उपदेश से ही स्मारक रूप गुरुदेव के कीर्तिस्तम्भ का निर्माण हुआ था । इस गुरुधाम लहरा के लिए अपनी निश्रा में लुधियाना से छरीपालित यात्रासंघ निकालकर श्रापने पंजाब जैनसंघ को गौरवान्त्रित किया। यहां के कीर्तिस्तम्भ को नया व सुन्दर रूप देने के लिए जब आपने अपना प्रोजस्वी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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