Book Title: Madhya Asia aur Punjab me Jain Dharm
Author(s): Hiralal Duggad
Publisher: Jain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi

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Page 641
________________ ५६२ मध्य एशिया और पंजाब में जैनधर्म जी की प्रतिमा को उठाया तो उठाने में देर न लगी। तुरन्त प्रतिमानों को ऊपर ले आये और शुभ मुहूर्त में उन्हें मूलनायक रूप में स्थापित करके प्रतिष्ठित किया गया। प्रतिष्ठा के अवसर पर होशियारपुर नगर की चारों दिशाओं की दस-दस मील की दूरी के नगरों और गांवों में बसने वाले ब्राह्मणों को भी न्योता दिया गया। जितने ब्राह्मणों के आने की संभावना थी उससे कई गुणा अधिक ब्राह्मण होशियारपुर में प्रा पहुचे । इन्हें खिलाने के लिए जो मिष्ठान आदि भोजन सामग्री तैयार की गई थी वह कम पड़ने लगी। लाला जी घबराये हुए प्राचार्य श्री के पास आये और अपनी परेशानी को सविनय कह सुनाया। आचार्य श्री ने स्वच्छ कपड़े की एक चादर मंगवाकर उसे मंत्रित करके लाला जी को देकर कहा कि इसे ले जाकर मिठाई पर ढक दो, जब तक निमंत्रित लोग सब के सब भोजन न करें तब तक चादर को उठाना मत और एक पल्ले को उठाकर चादर के अन्दर रखी हुई मिठाई को परोसते रहना । जब तक सब लोग खा पीन चकें तब तक चादर मत उठाना । गरुदेव की कृपा से कोई कमी न पावेगी। तब वैसा ही किया। सब लोगों के खा जाने के बाद जब चादर को उठाया गया तब सारे की सारी मिठाई मौजूद थी। _ लालाजी ने ब्राह्मणों के भोजन कर लेने के बाद प्रत्येक को एक-एक चांदी का रुपया भी दक्षिणा में दिया। आपने सर्वसाधारण केलिए होशियारपुर में एक सराय (बहुत बड़ी धर्मशाला) भी बनवाई। ___आपकी उन्नति को देखकर अनेक लोग आपसे ईर्ष्या भी करने लगे पर देव गुरु के प्रताप से सबको मुंह की खानी पड़ी। आप सच्चे देव और गुरु भक्त थे। सरल और धार्मिक विचारों के धनी थे । साधारण स्थिति के सामियों को गले लगाने वाले थे। लाला दौलतराम जी प्रोसवाल नाहर गोत्रीय लाला गुज्जरमल जी होशियारपुर वालों के पुत्र लाला देवराज जी का छोटी आयु में ही देहांत हो गया था। लाला देवराज जी के पुत्र लाला दौलतराम जी थे। ___लाला दौलतराम जी भी अपने पितामह और पिता के समान ही बड़े उदार, धर्मात्मा और सदाचारी श्रावक थे। आपका स्वभाव सरल तथा विचार उच्च थे । वि० सं० १९७६ पोष सुदि २, ३, ४, को साधड़ी (राजस्थान) में भारतवर्षीय जैन श्वेतांबर कान्फ्रेंस के अधिवेशन में जो मुनि श्री वल्लभविजय (प्राचार्य श्री विजयवल्लभ सूरि) जी के नेतृत्व में हुआ था; लाला दौलतराम जी को प्रधान मनोनीत किया गया था। के आपने अध्यक्ष-स्थानीय भाषण दिया था उस में मुख्य विषय ये थे। १- मेरा विचार और अधिकार २-कान्फ्रेंस की आवश्यकता ३ - शांति की योजना ४-विद्या की कमी दूर करो, ५–जैन कालेज की स्थापना, ६-अपने भरोसे रहना सीखो, ७-महाजन डाकू न बनें, ८वीतराग के सच्चे पुजारी बनो, 6-सबको कर्तव्य परायण होना चाहिये, १०–अात्मा ही परमात्मा है, ११_जैन समाज में एकता और उदारता की आवश्यकता १२-पाठशाला, विद्यालय, स्कूल, कालेज के लाभ इत्यादि। इस अवसर पर आपने गुरु महाराज को पंजाब श्रीसंघ की मोर से पंजाब पधारने की 3003888888888888 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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