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मध्य एशिया और पंजाब में जैनधर्म
आपका जन्म ता० २७ जुलाई १६५५ ई० को लुधियाना में हुआ। विवाह ता० २६ फरवरी १९७८ ई० में हुमा । ता० २३ जुलाई १९७८ ई० को रात के ६-३० प्रापकी स्कूटर से दुर्घटना हो गई । परिणाम स्वरूप छह मास की नव विवाहिता पत्नी को बालविधवा छोड़कर ता० २५ १९७८ ई० को रात के ३ बजे अापका निधन हो गया । इन दिनों आप एम० कॉम० को फाइनल परीक्षा भी दे रहे थे। निधन पर आपके निवास स्थान के निकस्थ सब बाजार बन्द रहे। अगले वर्ष आपकी वर्सी विशेष रूप से मनायीं गई ।
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प्रो० पृथ्वीराज जैन जन्म--१९२५ ई० पिता स्व. लाला शंकरदास जैन चौधरी। (पट्टी श्री संघ के मुख्य कार्यकर्ता और श्री आत्मानंद जैन महासभा पंजाब के आजीवन सदस्य तथा १६३३ तक कार्यकारिणी के सदस्य ।)
प्रारम्भिक शिक्षा--पट्टी में। प्रतिभा-परिश्रमशील १६२७ से १६३३ तक श्री प्रात्मानन्द जैन गुरुकुल पंजाब गुजरांवाका के छात्र । अपनी कक्षा में सदैव प्रथम स्थान । छात्र करते हुए भी कई जिम्मेदारी के काम करते । लिखने और भाषण देने में रुचि।
बाद में काशी हिंदू विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा। १६३७ में जैनदर्शन, शास्त्री १९४० में प्रथम क्षेणी में संस्कृत में एम० ए० । प्रतियोगिताओं में अनेक पुरस्कार, जैनदर्शन का अभ्यास पं० सुखलाल जी व श्री दलसुख मालवणिया से।
निम्नलिखित संस्थानों में अध्यापन कार्य । १. श्री प्रा० ज० गु० गुजराँवाला-अध्यापक, विद्यापति, अधिष्ठाता । २. जैन श्वेतांबर हाई स्कूल बीकानेर-प्रधानाध्यापक ।
३. श्री प्रा० जैन कालिज अम्बाला शहर-२५ वर्ष तक संस्कृत तथा जैनधर्म विभाग के अध्यक्ष ।
४. अवकाश प्रप्ति के पश्चात् कुछ समय के लिए विद्यापीठ श्री जैनेन्द्र गुरुकुल पंचकूला उपनिर्देशक ।
पंजाब जैन समाज के प्रमुख प्रसिद्ध कार्यकर्ता श्री प्रात्मानन्द जैनमहासभा के पंद्रह वर्ष तक पहले संयुक्त मंत्री फिर मंत्री । तत्पश्चात् कनिष्ठ उपप्रधान । अनेक शिक्षण संस्थानों की कार्यकारिणी के सदस्य।
अतीव मधुर, प्रभावशाली वक्ता । लेखक-अनेक जैन-अजैन पत्रिकामों में लेख ।
श्रमण के संपादक मंडल में दो वर्ष । विजयानंद के आद्य संस्थापक संपादक २५ वर्ष तक । मार्च १९८१ में श्री मानतुग सूरि साँस्कृतिक समारोह बंबई में आठ विद्वानों व समाज सेवकों का सम्मान । उनमें एक आप भी थे । लेखों के अतिरिक्त निम्नलिखित पुस्तिकाएं
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