Book Title: Madhya Asia aur Punjab me Jain Dharm
Author(s): Hiralal Duggad
Publisher: Jain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi

Previous | Next

Page 619
________________ ५७० मध्य एशिया और पंजाब में जैनधर्म तीर्थ-प्रेमी परम गुरु-भक्त सेठ श्री रामलाल जी जैन BARSE INS सेठ श्री रामलाल जी (मे० रामलाल इन्द्र लाल दिल्ली) एक सफल व्यवसायी, मृदुभाषी एवं कर्मठ सामाजिक कार्यकर्ता हैं। अपनी व्यवहार-कुशलता तथा धर्म-निष्ठा के कारण अापके सम्पूर्ण परिवार ने जैनसमाज में अपना विशेष स्थान बनाया है। सेठ श्री रामलाल जी का जन्म भारत के पश्चिमोत्तर प्रांत फटियर सूबा के शहर कालाबाग में हुअा जो अब पाकिस्तान में है । आपने अल्पायु में व्यापार क्षेत्र में प्रवेश किया । बन्न शहर में एक इकाई के रूप में व्यापार प्रारम्भ करके थोड़े समय में ही आप प्रमुख व्यवसायी के रूप में प्रतिष्ठित हुए। पाकिस्तान बनने के पश्चात् आपने भारत के विभिन्न प्रांतों में अपने व्यवसाय को फेलाया। गाजियाबाद, हाथरस, आगरा, खन्ना, लुधियाना आदि नगरों में आपने अपने व्यवसाय की विशेष इकाइयां स्थापित की हैं। दिल्ली में प्रापका मुख्यालय है आप तेल व्यापार संघ DVOTA दिल्ली के उप-प्रधान हैं। आपने धार्मिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में अपनी आस्था एवं विलक्षण प्रतिभा के अनेकों महत्वपूर्ण कार्य प्रस्तुत किये हैं । अाज अाप विभिन्न प्रकार की संस्थानों एवं समितियों के उच्च पदों पर अपने दायित्वों को सफलता पूर्वक निभाते हुए समाज के पथ-प्रदर्शक के रूप में कार्य कर रहे हैं । उत्तरी भारत के ऐतिहासिक पावन तीर्थ श्री हस्तिनापुर जी की तीर्थ-समिति के आप विगत ८ वर्षों से प्रधान हैं । और श्वेतांबर मूर्ति-पूजक जैनसंघ दिल्ली के प्राण हैं और आत्मानन्द जैन सभा दिल्ली के प्रधान हैं। प्रात:स्मरणीय कलिकाल-कल्पतरु युगवीर पंजाब केसरी जैनाचार्य श्रीमद् विजयवल्लभ सूरीश्वर जी महाराज के पट्टधर जिनशासनरत्न शांतमूर्ति जैनाचार्य श्री १००८ श्रीमद् विजय समुद्र सूरिश्वर जी महाराज की आज्ञानुवतिनी विदुषी साध्वी जैनभारती, महत्तरा कांगड़ा तीर्थोद्धारिका श्री मृगावती जी महाराज की प्रेरणा से आपने २० वर्षों से 'वल्लभ-स्मारक योजना' को क्रियान्वित रूप देकर समस्त पंजाब के जैन समाज पर एक महान उपकार किया है। इसके अतिरिक्त श्री प्रात्मानन्द जैन महासभा उत्तरी भारत एवं दिल्ली प्रदेश भगवान महावीर २५ वीं निर्वाण शताब्दी समिति के उप-प्रधान पदों पर कार्य करते हुए आपने पंजाब एवं दिल्ली के नैन समाज को एक नई प्रेरणा दी हैं। -:: Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658