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ग्रंथ कर्ता और कवि
१५. ग्रंथकर्ता और कवि
(१) तपागच्छीय उपाध्याय भानुचन्द्र जी की रचनाएं १. रत्नपाल कथानक वि० १६६२ ३ . बानकृत कादंबरी पूर्व भाग वृत्ति २ विवेकविलास टीका वि० सं० १६७१ ४. सारस्वत व्याकरण वृत्ति .
५. सूर्यसहस्रनाम (२) तपागच्छीय श्री सिद्धिचन्द्र जी की रचनाएं १. कादम्बरी उत्तर भाग टीका
। ५. अनेकार्थ नाममाला संग्रह वृत्ति २. भक्तामर स्तोत्र बृत्ति
६. शोभन कृत स्तुतियों पर टीका ३. धातुमंजरी
७. वृद्धप्रस्तावोक्ति रत्नाकार ४. वासवदत्ता पर वृत्ति
८. भानुचंद्र चरित्र (स्वगुरु चरित्र)
६ संक्षिप्त कादम्बरी कथानक (गुजराती) श्री सिद्धिचन्द्र जी उपाध्याय भानुचन्द्र जी के शिष्य थे। ये अपने गुरु के साथ अकबर और जहांगीर के दरबार में अन्तिम समय तक रहे । लाहोर पंजाब में अधिक रहे। उन्होंने संस्कृत में अनेक ग्रथों की रचनाए की उन में से उपलब्ध उपयुक्त ग्रंथ हैं।
इन के गुरु भानुचन्द्र ने कादम्बरी के पूर्वभाग पर टीका रची थी और उत्तरभाग पर इन्हों ने टीका की रचना की थी।
(३) वृहद् (बड़) गच्छीय कवि मुनिमाल (यति) की रचनाएं [सरस्वतीपत्तन (सिरसा) हरियाणा समय वि० १७ वीं शताब्दी] ग्रंथ नाम वि० सं० । __ ग्रंथ नाम
वि० सं० १. चरित्र सिद्ध १६३६ / १६. देवदत्त चौपाई
१६५२ २. नर्मद चरित्र
१६५० | १७, विक्रम चरित्र ३. पंचदंड विक्रमचरित्र
१८. ज्ञानपंचमी कथा ४. पदमसी पदमावती चौपाई। १६५० १६ पारस चरित्र ५. धनदेव पदमराय मुनि चरित्र १६५० २०. सुभाषित संग्रह ६. श्री पुरंदर रास
१६५०
२१. गर्भ उपदेश सत्तरी ७. राजा भोज चरित्र
१६५२
२२. हितोपदेश ८. श्री पार्श्वनाथ दस अवतार रास १६५२
२३. नेमि धमाल ६. कुवर पुरंदर चौपाई १६५२ | २४. शीलवती प्रबन्ध १०. सुरप्रिय चौपाई
१६५२
२५. भगवान महावीर का पारणा ११. अंजनासुन्दरी चौपाई
२६. सत्तरह प्रकार की पूजा. १२. शालिभद्र केवली
१६५२ २७. भविष्य भविष्या चौपाई १३. पदमावती चौपाई
१६५२ | २८, २६. मन-भमरा, स्थूलिभद्र फाग १४. विरांग कथा
१६५२ ३०. शील सुरंगी चूनड़ी, १५. पुरंदर राजर्षि कथा
१६५२ / ३१, ३२. पंचउर (पंजौर), ज्ञान पंचमी स्तव
१६५०
१६५२
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