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पति ( पूज) और श्री पूज्य
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उत्तमचन्द गोत्र दुग्गड़ । सर्व जती - प्रारजा । [श्रपने अनुयायी यतियों - यतनिमों को क्षेत्र सौंपने का विवरण]
१. प्रथम क्षेत्र - श्रीमद् पूज्य रामचन्द्र स्वामी जी :
(१) अमृतसर, (२) पट्टी, (३) साढौरा, (४) अंबहटा, (५) लाहौर, (६) अंबाला । ६ क्षेत्र २. पूज्य रूपाऋषि - ( १ ) पट्टी, (२) खरड़, (३) नालागढ़ |
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३. पूज्य लालूऋषि = (१) जगरावां, (२) रायकोट, (३) बलाचौर ।
४. पूज्य दीपचन्द्र ऋषि = (१) अमृतसर, (२) जंडियाला गुरु (३) कसूर ५. पूज्य माणक ऋषि = (१) फगवाड़ा, (२) टाँडा, (३) नकोदर ।
६. पूज्य राजाराम ऋषि = (१) रामपुर ।
७. पूज्य दूनीचन्द ऋषि = (१) गुजरांवाला |
८. पूज्य सहजू ऋषि - ( १ ) अंबाला, (२) मनसूरपुर ।
६. पूज्य प्रमाऋषि = ( १ )
अंबहटा ।
१०. पूज्य जीवा ऋषि = (१) थानेसर, (२) करनाल ।
११. पूज्य साहब ऋषि = (१) अबदुल्लाखां की गढ़ी, (२) सहारनपुर ।
१२. पूज्य जीता ऋषि = (१) मालेरकोटला, (२) लुधियाना ।
१३. पूज्य जौहरी ऋषि = (१) पटियाला ।
१४. पूज्य नौबत ऋषि = (१) जेजों ।
१५. पूज्य बनूड़ी ऋषि = (१) बनूड़ ।
१६. पूज्य दीवान ऋषि = (१) सरसावा, (२) सिरसा । १७. पूज्य धर्मा ऋषि = (१) अमृतसर |
१८. पूज्य नानक ऋषि = (१) सुनाम |
१६. पूज्य बढ़ता ऋषि - ( १ ) राहों ।
२०. आरजा लक्ष्मी जी = (१) होशियारपुर |
२१. श्रारजा सुखमनीजी - (१) थानेसर, (२) सामना |
२२. श्री श्रीपूज्य रामचन्द्र जी के साथ = पूज्य सोहनऋषि, पूज्य बिहारी ऋषि ।
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इन क्षेत्रों में परठ करी । श्री १०८ श्रीमत्यपूज्याचार्य स्वामी रामचन्द्र ने तेवड़ की । रतनचन्द्र उत्तमचन्द्र दुग्गड़ सर्वसंघ को प्रमाण करनी सही । [ सब यति] अपने-अपने क्षेत्रों को संभालें । अपना क्षेत्र छोड़कर जो दूसरे क्षेत्र में जावेगा सो चतुर्विधसंघ का विराधक होवेगा । जो प्रपने क्षेत्र में रहेगा वह चतुर्विधसंघ का आराधक होगा । सही-सही पदवी नई चादर पहरने । [श्रीपूज्य पदवी प्रदान करते समय श्रीपूज्य जी को दी गई चादरों का विवरण ] ( १ ) पहली चादर यतियों की, (२) पंचायत की तरफ़ से, (३) श्रावकों की तरफ से, (४) तेवड़वाले श्रावकों की तरफ से । उस के [तेवड़ वाले के] घर चिट्ठा-वाचना सर्वसंध ने प्रमाण की । वि० सं० १५५० में श्री जी गद्दी पर बैठे । शुभम् अस्तु । जती १६ श्रार्या ४ । स्वगच्छीय ६, खरतरगच्छीय ५, गुजराती Mantrच्छी २, नागौरीगच्छीय ३ । [तेवड़ पर प्राये ] |
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