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गांधार-तक्षशिला में जैनधर्म
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विद्यार्थी लोग अपने-अपने नगरों में ही शिक्षा पाते थे। पीछे उच्चशिक्षा पाने के लिये यहाँ पाया करते थे। समझा यह जाता था कि तक्षशिला में पारंगत होने को जाना है। शिक्षा अपने यहाँ पर भी मिल सकती थी। पर राजा तथा अन्य धनी लोग भी अपने लड़कों को दूर देशों से शिक्षा के लिये यहाँ भेजना उपयोगी समझते थे।
शिक्षा प्रबन्ध-(१) शिक्षा पाने की फीस एक हज़ार कार्षापण थी ।। (२) जो विद्यार्थी फीस नहीं दे पाते थे वे प्राचार्य के घर पर दिन में काम करते थे और रात को उनके पास शिक्षा पाते थे। (३) एक तीसरे प्रकार के विद्यार्थी जो न तो आवश्यक फीस दे पाते थे और न ही प्राचार्य के घर पर काम करते थे। वे वादा करते थे कि हम पढ़ाई समाप्त करने पर कुछ समय बाद निश्चित फीस एक हजार कार्षापण दे देंगे। उन पर विश्वास कर लिया जाता था और उन्हें शिक्षा भी फीस देने वाले विद्यार्थियों के समान ही दी जाती थी। विद्यार्थी भी शिक्षा समाप्त कर लेने के बाद थोड़े समय के अन्दर ही फीस दे जाते थे। (४) तक्षशिला में संसार प्रसिद्ध आचार्य शिक्षा देने का कार्य करते थे। उन आचार्यों के साथ लगाये गये विशेषणों से ज्ञात होता है कि उस समय तक्षशिला विश्वविद्यालय अपनी विद्या के लिये अद्वितीय था। जातकों से यह भी ज्ञात होता है कि एक प्राचार्य के पास ५०० विद्यार्थी शिक्षा पाते थे। ऐसे संसार प्रसिद्ध प्राचार्यों की संख्या कम न थी।
संभवतः यह कल्पना अनुचित न होगी कि तक्षशिला विश्वविद्यालय में अनेक कालेज थे । जिनमें प्रत्येक में ५०० विद्यार्थी शिक्षा पाते थे। और उन कालेजों के प्रत्येक प्रधानाध्यापक को प्राचार्य कहा जाता था। वर्तमान परिभाषा में यही वर्णन तक्षशिला विश्वविद्यालय के वास्तविक रूप को प्रकट कर सकता है।
(५) तक्षशिला विश्वविद्यालय में शिक्षा समाप्त कर चुकने पर विद्यार्थी लोग शिल्प, व्यवसाय तथा जनता आदि से क्रियात्मक अनुशीलन करने के लिए तथा देश-देशान्तर के रीतिरिवाजों का अध्ययन करने के लिए अनेक ग्रामों नगरों का भ्रमण किया करते थे। इस सम्बन्ध में जातकों में अनेक निर्देश पाये जाते हैं।
(६) तक्षशिला विश्वविद्यालय इतना प्रसिद्ध था कि बड़े-बड़े राजा-महाराजा, जमींदार, मंत्री, क्षत्रीय लोग अपने-अपने लड़कों को यहाँ पढ़ने के लिए भेजते थे । जातक साहित्य में अनेक राजकुमारों के यहाँ शिक्षा पाने के विवरण मिलते हैं। :
१-वाराणसी (काशी) का राजकुमार ब्रह्मदत्त ।' २-मगधराज का लड़का अरिदमन ।
1--The Jatka Vol IV p. 24. 2-The Jatka edited by prof E. B. Cowell Vol V p. 246; Vol I p. 148 Vol IV
p. 182. etc. 3-The Jatka (Cowell) Vol IV p. 140 4-Abid Vol V p. 66, 67, Vol Ii p. p. 193. Vol III p. 173 etc. 5-Abid Vol III p. 154, Vol IV p. 32, Vol V p. 67, Vol I p. 183. 6-Abid Vol II p. 194. 7-Abid Vol V p. 66 etc. 8-Abid Vol Vp. 127.
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