Book Title: Kasaypahudam Part 11
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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उत्तरपयडिअणुभागउदीरणाए सामित्त
चाहिमुहचरिमसमयमिच्छाइट्ठिस्स अणुभागुदीरणा थोवा । दुवरिमसमए अनंतगुणन्भहिया । तिचरिमसमए अनंतगुणब्भहिया । एवं चउत्थसमयादी० णेदव्वं जाव । सव्वुक्कस्ससं किलिट्टमिच्छाट्ठिस्स अणुभागुदीरणा अनंतगुणाति । तदो अण्णजोगववच्छेदेत्थेव मिच्छत्त- सोलसकसायाणमुक्कस्स सामित्तमवहारेयव्वमिदि । संपहि सम्मत्तस्स उक्कस्ससामित्तविहा सणट्ठमुत्तरमुत्तमाह-
गा० ६२ ]
* सम्मत्तस्स उक्कस्साणुभागुदीरणा कस्स ? $ ११०. सुगममेदं पुच्छावक्कं ।
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* मिच्छत्ताहिमुहचरिमसमयअसंजदसम्मादिट्ठिस्स सव्वसंकिलिट्ठस्स । $ १११. जो असंजदसम्माइट्ठी सम्मत्तं वेदेमाणो परिणामपच्चयेण मिच्छत्ताहिमुहो होण अंतो मुहुत्तमणंतगुणाए संकिलेसवडीए वडिदो तस्स चरिमसमयअसंजदसम्माइट्ठिस्स सव्वसंकिलिट्ठस्स पयदुक्कस्ससामित्तं होदि । कुदो ? जीवादिपयत्थे दूसिय मिच्छत्तं गच्छमाणस्स तस्स उक्कस्ससंकिलेसेण बहुआणुभागहाणीए अभावेण सम्मतुक्कस्साणुभागुदीरणाए तत्थ सुव्वत्तमुवलंभादो । सव्वत्थुक्कस्ससंकिलेसेण बहुगो
के अनुभाग उदीरणा स्तोक है। उससे द्विचरम समयमें अनन्तगुणी अधिक है। उससे त्रिचरम समयमें अनन्तगुणी अधिक है । इस प्रकार चतुः चरम समयसे लेकर सर्वोत्कृष्ट संक्लेश परिणामवाले मिथ्यादृष्टिके अनुभाग उदीरणा अनन्तगुणी प्राप्त होने तक ले जाना चाहिए । इसलिए अन्ययोग व्यवच्छेदसे यहीं पर मिध्यात्व और सोलह कषायोंका उत्कृष्ट स्वामित्व जानना चाहिए। अब सम्यक्त्वके उत्कृष्ट स्वामित्वका व्याख्यान करनेके लिए आगेका सूत्र कहते हैं
* सम्यक्त्वकी उत्कृष्ट अनुभाग उदीरणा किसके होती है ?
$ ११० यह पृच्छावाक्य सुगम है ।
* मिथ्यात्वके सन्मुख हुए अन्तिम समयवर्ती असंयतसम्यग्दृष्टि सर्व संक्लेश परिणामवाले जीवके होती है.
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$ १११. जो असंयत सम्यग्दृष्टि जीव सम्यक्त्वका वेदन करता हुआ और परिणाम प्रत्ययवश मिथ्यात्वके अभिमुख होकर अन्तर्मुहूर्त काल तक अनन्तगुणी संक्लेशकी वृद्धि से वृद्धिको प्राप्त हुआ है उस अन्तिम समयवर्ती असंयत सम्यग्दृष्टि सर्व संक्लेश परिणामवाले जीवके प्रकृत उत्कृष्ट स्वामित्व होता है, क्योंकि जीवादि पदार्थों को दूषितकर मिध्यात्वको जानेवाले उस जीवके उत्कृष्ट संक्लेशवश बहुत अनुभागकी हानिका अभाव होनेसे सम्यक्त्वकी उत्कृष्ट अनुभाग उदीरणा वहाँपर सुव्यक्त पाई जाती है ।
शंका—सर्वत्र उत्कृष्ट संक्लेशसे बहुत अनुभाग हानिको नहीं प्राप्त होता यह किस प्रमाणसे जाना जाता है ?
समाधान – इसी सूत्र से जाना जाता है ।
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