Book Title: Kasaypahudam Part 11
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh

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Page 370
________________ गा० ६२] बंधादिपंचपदप्पाबहुअणिहेसो ३५१ उदीरिजमाणदव्वस्स किंचूण मिच्छत्तुक्कस्सदव्यमोकडणभागहारेणे खंडेयूण तत्थेयखंडपमाणस्स गहणादो । को गुणगारो ? अधापवत्तभागहारस्स असंखेजदिभागो। " __ * उक्कस्सपदेसुदयो असंखेजगुणो । ६४६४. किं कारणं ? उदीरणा णाम गुणसेढिसीसयस्स असंखेजदिभागो । उदयो पुण गुणसेढिसीसयं सव्वं चेव भवांदे। तेणासंखेजगुणत्तमेदस्स ण विरुज्झदे । को गुणगारो ? पलिदोवमस्स असंखेजदिभागो। . * उक्कस्सपदेससंतकम्मं विसेसाहियं । ४६५. केत्तियमेत्तो विसेसो ? हेढा दुचरिमादिगुणसेढिगोवुच्छासु णट्ठदव्वमेत्तो। * सम्मामिच्छत्तस्स उक्कस्सपदेसुदीरणा थोवा । ६४६६. कुदो ? सम्मत्ताहिमुहचरिमसमयसम्मामिच्छाइट्ठिणा तप्पाओग्गुक्कस्सबिसोहीए उदीरिजमाणातसंखेजलोगपडिभागियदव्वस्स गहणादो । * उक्कस्सपदेसुदयो असंखेजगुणो । उदीर्यमाण द्रव्यको प्रकृतमें ग्रहण किया है । वह मिथ्यात्त्रके उत्कृष्ट द्रव्यको अपकर्षणभागहारके द्वारा खण्डित करने पर वहाँ जो एक खण्डप्रमाण प्राप्त हो उतना है। शंका-गुणकार क्या है ? समाधान-अधःप्रवृत्त भागहारका असंख्यातवाँ भाग गुणकार है। * उससे उत्कृष्ट प्रदेश उदय असंख्यातगुणा है। $ ४६४. क्योंकि उदीरणा गुणश्रेणिशीर्षके असंख्यातवें भागप्रमाण है । परन्तु उदय सम्पूर्ण गुणश्रेगिशीर्षरूप होता है । इसलिए उदीरणासे उदय असंख्यातगुणा है यह विरोधको प्राप्त नहीं होता। शंका-गुणकार क्या है ? समाधान—पल्योपमका असंख्यातवाँ भाग गुणकार है। * उससे उत्कृष्ट प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है। ६ ४६५. शंका-विशेषका प्रमाण कितना है ? समाधान-अधस्तन द्विचरम आदि गुणश्रेणिगोपुच्छाओं जितना द्रव्य नष्ट हुआ है उतना है। * सम्यग्मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा स्तोक है। $४६६. क्योंकि सम्यक्त्वके अभिमुख हुआ अन्तिम समयवर्ती सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीव तत्प्रायोग्य विशुद्धिवश असंख्यात लोक प्रतिभागीय द्रव्यकी उदीरणा करता है, उसे यहाँ उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणारूपसे ग्रहण किया है। * उससे उत्कृष्ट प्रदेश उदय असंख्यातगुणा है । १. ता प्रत्तौ-मोकड्डियूण भागहारेण इति पाठः ।

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