Book Title: Kasaypahudam Part 11
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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गा० ६२] उत्तरपयडिपदेसउदीरणाए परिमाणं
२८१ तं तु चउट्ठाणप० । रदि णिय० तं तु चउट्ठा० । सम्म० इत्थिवेदभंगो । एवं रदीए । एवमरदि-सोगाणं ।
$२३३. भय० उक्क० पदे० उदी० अट्ठक०-अट्ठणोक० सिया तं तु चउट्ठाण । सम्म०-इत्थि० भयभंगो । एवं दुगुंछ । एवं पंचिंदियतिरिक्खतिये । णवरि पज० इत्थिवेदो णत्थि । जोगिणीसु पुरिस०-णस० णत्थि ।।
$ २३४. अट्ठक०-सत्तणोक० उक्क० पदे. उदीरेंतो सम्म० सिया तं तु चउट्ठा० । . २३५. सम्म० उक्क० पदे० उदी० अट्ठक०-छण्णोक० सिया तं तु चउट्ठाणप० । इत्थिवेद० णिय० तं तु चउट्ठाण !
$ २३६. पंचिंतिरि०अपज०-मणुसअपज० मिच्छ० उक्क० पदे. उदीरेंतो उदोरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा चार स्थान पतित अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है । रतिका नियम से उदीरक है, जो कदाचित् उत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है और कदाचित् अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है । यदि अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा चतुःस्थान पतित अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है । सम्यक्त्वका भंग स्त्रीवेदके समान है । इसी प्रकार रतिको मुख्य कर सन्निकर्ष जानना चाहिए। तथा इसी प्रकार अरति और शोकको मुख्यकर सन्निकर्ष जानना चाहिए।
$२३३. भयकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरण करनेवाला तिर्यश्च आठ कषाय और आठ नोकषायोंका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है। यदि उदीरक है तो कदाचित् उत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है और कदाचित् अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है । यदि अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा चतुःस्थान पतित अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है । सम्यक्त्व और स्त्रीवेदका भंग भयके समान है। इसी प्रकार जुगुप्साको मुख्यकर सन्निकर्ष जानना चाहिए । इसी प्रकार पञ्चेन्द्रिय तिर्यश्चत्रिकमें जानना चाहिए। इतनी विशेपता है कि पर्याप्तकोंमें स्त्रीवेद नहीं है तथा योनिनियोंमें पुरुषवेद और नपुंसकवेद नहीं है ।
६२३४. तथा आठ कषाय और सात नोकषायोंकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करनेवाला तिर्यश्च योनिनीजीव सम्यक्त्वका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है। यदि उदीरक है तो कदाचित् उत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है और कदाचित् अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है। यदि अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा चतुःस्थान पतित अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है।
$ २३५. सम्यक्त्वकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करनेवाला उक्त जीव आठ कषाय और छह नोकषायोंका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है। यदि उदीरक है तो कदाचित् उत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है और कदाचित अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है। यदि अनत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा चतुःस्थान पतित अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है। स्त्रीवेदका नियमसे उदीरक है, जो कदाचित् उत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है और कदाचित् अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है । यदि अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है तो उत्कृष्टको अपेक्षा चतुःस्थान पतित अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है।
२३६. पञ्चेन्द्रिय तिर्यश्च अपर्याप्त और मनुष्य अपर्याप्तकोंमें मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करनेवाला जीव सोलह कषाय और छह नोकषायोंका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है। यदि उदीरक है तो कदाचित् उत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है और कदाचित