Book Title: Kasaypahudam Part 11
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh

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Page 298
________________ गा० ६२ ] उत्तरपयडिपदेसउदीरणाए परिमाणं २७९ $ २२६. हस्सस्स उक्क० पदे० उदी० बारसक० - भय-दुर्गुछ० सिया तं तु चउट्ठाण पदि ० । रदि - णव स० निय० तं तु चउद्वाणप० । सम्म० सिया असंखे ० गुणही ० । एवं रदीए । एवमरदि - सोगाणं । $ २२७. भय० उक्क० पदेस० उदीरेंतो बारसक० - पंचणोक० सिया तं तु चउट्ठाणप० । सम्म० - ण स० हस्सभंगो । एवं दुगुंछा० । एवं पढमाए । $ २२८. बिदियादि सत्तमा त्ति । णवरि बारसक० - सत्तणोक० उक्क० पदेसमुदीरेंतो सम्म० सिया तं तु चउट्ठाणप० । सम्म० उक्क० पदे० उदीरे० बारसक० - छण्णोक ० सिया तं तु चउट्ठाणप० । णवंस० निय० तं तु चउट्ठाणप० । त्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है । सम्यक्त्वका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है । यदि उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा असंख्यात गुणहीन अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है । इसी प्रकार शेष ग्यारह कषायोंको मुख्यकर सन्निकर्ष जानना चाहिए । $ २२६. हास्य की उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करने वाला जीव बारह कषाय, भय और जुगुसाका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है। यदि उदीरक है तो कदाचित् उत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है और कदाचित् अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है। यदि अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है तो उत्कृष्ट की अपेक्षा चतुःस्थान पतित अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है। रति और नपुंसक वेदका नियमसे उदीरक है, जो कदाचित् उत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है और कदाचित् अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है । यदि अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा चतुःस्थान पतित अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है । सम्यक्त्वका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है। यदि उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा असंख्यात गुणहीन अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है। इसी प्रकार रतिको मुख्य कर सन्निकर्ष जानना चाहिए। तथा इसी प्रकार अरति और शोकको मुख्यकर सन्नि कर्ष जानना चाहिए । $ २२७. भय की उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करने वाला जीव बारह कषाय और पाँच नोकषायोंका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है । यदि उदीरक है तो कदाचित् उत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है और कदाचित् अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है । यदि अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा चतुःस्थान पतित अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक करता है। इसके सम्यक्त्व और नपुंसक वेदका भंग हास्य के समान है। इसी प्रकार जुगुप्साको मुख्यकर सन्निकर्ष जानना चाहिए। इसी प्रकार पहली पृथिवीमें जानना चाहिए। $ २२८. दूसरीसे लेकर सातवीं पृथिवी तक इसी प्रकार है। इतनी विशेषता है कि बारह कषाय और सात नोकषायोंकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करने बाला जीव सम्यक्त्वका कदाचित् उदोरक है और कदाचित् अनुदीरक है। यदि उदीरक है तो कदाचित् उत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है और कदाचित् अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक हैं । यदि अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है तो उत्कृष्ट की अपेक्षा चतु:स्थान पतित अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है । सम्यक्त्वकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करनेवाला जीव बारह कषाय और छह नोकषायोंका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है । यदि उदीरक है तो कदाचित् उत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है और कदाचित् अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है । यदि अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक हैं तो उत्कृष्टकी अपेक्षा चतुःस्थान पतित अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है । नपुंसक वेद का नियम से उदीरक है, जो कदाचित् उत्कृष्ट प्रदेश उदीरक

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