Book Title: Kasaypahudam Part 11
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [ वेदगो भय-दुगुंछा० सिया तं तु चउट्ठाण'। रदि णिय० तं तु चउट्ठा० । एवं रदीए । एवमरदि-सोगाणं ।
२४५. भय० उक्क० पदे० उदी० सम्म० इत्थिवेदभंगो । बारसक०-सत्तणोक० सिया तं तु चउट्ठाणप० । एवं दुगुंछाए । एवं सोहम्मीसाण० । एवं सणकुमारादि जाव गवगेवजा त्ति । णवरि पुरिसवेदो धुवो कायव्यो ।
६२४६. भवण०-वाण-०-जोदिसि० देवोघं । णवरि बारसक०-अट्ठणोक० उक्क० पदे० उदी० सम्म सिया तं तु चउट्ठा० । सम्म० उक्क० पदे. उदीरेंतो बारसक०अट्ठणोक० सिया तं तु चउट्ठाण । भय और जुगुप्साका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है। यदि उदीरक है तो कदाचित् उत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है और कदादित् अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है। यदि अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा चतुःस्थान पतित अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है। रतिका नियमसे उदीरक है, जो कदाचित् उत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है और कदाचित् अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है। यदि अनत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है तो उत्कष्टकी अपेक्षा चतःस्थान पतित अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है। इसी प्रकार रतिको मुख्यकर सन्निकर्ष जानना चाहिए। तथा इसी प्रकार अरति और शोकको मुख्यकर सन्निकर्ष जानना चाहिए।
$ २४५. भयकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करनेवाले देवके सम्यक्त्वका भंग स्त्रीवेदको मुख्यकर कहे गये सम्यक्त्वके सन्निकर्षके समान है। बारह कषाय और सात नोकषायोंका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है। यदि उदीरक है तो कदाचित् उत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है और कदाचित अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है। यदि अनत्कृष्ट प्रदेश उदीरक उत्कृष्टकी अपेक्षा चतुःस्थान पतित अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है। इसी प्रकार जुगुप्साको मुख्यकर सन्निकर्ष जानना चाहिए। इसी प्रकार सौधर्म और ऐशान कल्पमें जानना चाहिए । तथा इसी प्रकार सनत्कुमार कल्पसे लेकर नौ प्रैवेयक तकके देवोंमें जानना चाहिए । इतनी विशेषता है कि इनमें पुरुषवेदको ध्रुव करना चाहिए । - $ २४६. भवनवासी, व्यन्तर और ज्योतिषी देवोंमें सामान्य देवोंके समान भंग है । इतनी विशेषता है कि बारह कषाय और आठ नोकषायोंकी उदीरणा करनेवाला उक्त देव सम्यक्त्वका कदाचित उदीरक है और कदाचित् अनुदोरक है । यदि उदीरक है तो कदाचित् उत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है और कदाचित् अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है । यदि अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा चतुःस्थान पतित अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है। सम्यक्त्वकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करनेवाला उक्त देव बारह कषाय और आठ नोकषायोंका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है । यदि उदीरक है तो कदाचित् उत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है और कदाचित् अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है। यदि अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा चतुःस्थान पतित अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है ।
१. आ०--ता प्रत्योः छट्ठाण० इति पाठः।