Book Title: Kasaypahudam Part 11
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
बारसक० - पंचणोक० सिया तं तु चउट्ठा० । एवं दुगुंछा । एवं जाव० ।
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२५९. भावो सव्वत्थ ओदइओ भावो ।
[ वेदगो ७
* अप्पाबहुं ।
$ २६०. सुगममेदमहियार संभालणवकं ।
* सव्वत्थोवा मिच्छत्तस्स उक्कस्सिया पदेसुदीरणा ।
$ २६१. कुदो ? संजमाहिमुहचरिमसमयमिच्छाइट्टिणा असंखे०लोगपडिभागेण उदीरिददव्ववग्गणादो ?
* अनंताणुबंधीणमुक्कस्सिया पदेसुदीरणा अण्णदरा तुल्ला संखेज्जगुणा । $ २६२. कुदो ? मिच्छत्तुदीरणादो अर्णताणुबंधीणमण्णदरोदीरणाए. उदयपडिभागेण थोवृणचउग्गुणत्वलंभादो | तं जहा - अनंताणुबंधिकोहा दीणमण्णदरस्स उदये संते से कसाया तिणि वि त्थिउकसंक्रमेणुदयं पविसंति त्तिमिच्छत्तुदयादो अणंताणुबंधिउदयो थोवूणचउग्गुणो होड़, पयडिविसेसवसेण तत्थ थोवूणभावदंसणादो । एवमुदयो होदिति कट्ट उदीरणा वि तप्पडिभागेणेव होदि ति वेत्तव्वा । एत्थ चोदओ भइ - होउ णाम उदयी चउग्गुणो, थिउकसंकमवलेण तस्स तहाभावोववत्तीदो। ण
उदीरणाए तहाभावसंभवो, एगुदयपयडिं मोत्तूण सेसाणमुदीरणाए अचंताभावदंसणादो त ? सच्चमेदं, एक्कादो चैत्र वेदिजमाणपय डिउदीरणा होदि त्ति इच्छिजमाण
प्रदेश उदीरणा करता है। बारह कषाय और पाँच नोकषायोंका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है । यदि उदीरक है तो कदाचित् जघन्य प्रदेश उदीरक है और कदाचित् अजघन्य प्रदेश उदीरक है । यदि अजघन्य प्रदेश उदीरक है तो जघन्यकी अपेक्षा चतुःस्थान पतित अजघन्य प्रदेश उदीरणा करता है । इसी प्रकार जुगुप्साको मुख्यकर सन्निकर्ष जानना चाहिए। इसी प्रकार अनाहारक मार्गणा तक जानना चाहिए ।
$ २५९. भाव की अपेक्षा सर्वत्र औदयिक भाव है ।
* अल्पबहुत्वका अधिकार है ।
$ २६०. अधिकारकी सम्हाल करनेवाला यह सूत्रवचन सुगम है ।
* मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा सबसे स्तोक है ।
$ २६१. क्योंकि संयमके अभिमुख हुए अन्तिम समयवर्ती मिध्यादृष्टिके द्वारा असंख्यात लोक प्रतिभागरूपसे उदीरित द्रव्यका ग्रहण होता है ।
* उससे अनन्तानुबन्धियोंमें से अन्यतर प्रकृतिको उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा परस्परमें तुल्य होकर संख्यातगुणी है ।
$ २६२. क्योंकि मिथ्यात्वकी उदीरणासे अनन्तानुबन्धियोंमेंसे अन्यतर कषायकी उदीरणा उदयप्रतिभागके अनुसार कुछ कम चौगुनी उपलब्ध होती है । यथा - अनन्तानुबन्धी क्रोधादिकमेंसे अन्यतरका उदय होने पर शेप तीनों ही कषाय स्तिवुक संक्रमणके द्वारा उदयमें प्रवेश