Book Title: Kasaypahudam Part 11
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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२७८ जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[ वेदगो ७ $ २२२. भय० उक्क० पदे० उदीरेंतो पंचणोक० सिया तं तु चउहाणपदिदा । तिण्णिवेद-चदुसंज० सिया असंखे०गुणहीणा । एवं दुगुंछाए । एवं मणुसतिये । णवरि वेदा जाणियव्वा ।
२२३. आदेसेण णेरइय० मिच्छ० उक्क० पदे. उदीरेंतो सोलसक०-छण्णोक० सिया असंखे गुणहीणा । णवंस० णिय० असंखेन्गुणहीणा । एवं सम्म० सम्मामि । णवरि अणंताणु०४ णत्थि ।
$ २२४. अणंताणु०कोध० उक्क. उदीरेंतो तिण्हं कोधाणं णस० णिय० असंखे०गुणही० । छण्णोक० सिया असंखेगुणहीणा । एवं माण-माया-लोहाणं ।।
$ २२५. अपचक्खाणकोध० उक्क० पदेसुदी० दोण्हं कोधाणं णवंस० णिय० तंतु चउट्ठाणप० । छण्णोक० सिया तं तु चउट्ठाणप० । सम्म० सिया असंखे०गुणहीणा । एवमेकारसक०।
$ २२२. भयकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करनेवाला जीव पाँच नोकषायोंका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है । यदि उदीरक है तो कदाचित् उत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है और कदाचित् अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है। यदि अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा चतुःस्थान पतित अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है । तीन वेद और चार संज्वलनोंका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है। यदि उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा असंख्यात गुणहीन अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है । इसी प्रकार जुगुप्साको मुख्यकर सन्निकर्ष जानना चाहिए । इसी प्रकार मनुष्यत्रिकमें जानना चाहिए । इतनी विशेषता है कि वेद जान लेने चाहिए।
$ २२३. आदेशसे नारकियोंमें मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करनेवाला जीव सोलह कषाय और छह नोकषायोंका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है । यदि उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा असंख्यात गुणहीन अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है। नपुंसकवेदका नियमसे उदीरक है जो उत्कृष्टकी अपेक्षा असंख्यात गुणहीन अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है। इसी प्रकार सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वको मुख्यकर सन्निकर्ष जानना चाहिए । इतनी विशेषता है कि उक्त दो प्रकृतियों की उदीरणा करनेवाला जीव अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी उदीरणा नहीं करता।
$ २२४. अनन्तानुबन्धी क्रोधकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करनेवाला जीव तीन क्रोध और नपुंसकवेदका नियमसे उदीरक है जो उत्कृष्टकी अपेक्षा असंख्यात गुणहीन अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है। छह नोकषायोंका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है। यदि उदीरक है तो उत्कष्टकी अपेक्षा असंख्यात गणहीन अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है। इसी प्रकार अनन्तानुबन्धी मान, माया और लोभ को मुख्य कर सन्निकर्ष जानना चाहिए।
$ २२५. अप्रत्याख्यान क्रोधकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करनेवाला जीव दो क्रोध और नपुंसकवेदका नियमसे उदीरक है। जो कदाचित् उत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है और कदाचित् अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है। यदि अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा चतुःस्थानपरित अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है। छह नोकषायोंका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है । यदि उदीरक है तो कदाचित् उत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है और कदाचित् अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है। यदि अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा चतुःस्थान पतित अनु•