Book Title: Kasaypahudam Part 11
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [ वेदगो ७ अत्थसब्भावो । तदो एदेण सुत्तेण समप्पिदस्थविसये सोदाराणं णिण्णयजणणट्ठमुच्चारणं वत्तइस्सामो । तं जहा
$ २१४. सण्णियासो दुविहो-जह० उक्क० । उक्कस्से पयदं । दुविहो णिद्देसोओघेण आदेसेण य । ओघेण मिच्छ० उक्क० पदेसमुदीरेंतो अणंताणुबंधिचउकं सिया० तं तु चउट्ठाणपदिदं । बारसक०-णवणोक० सिया असंखे०गुणहीणं ।
5२१५. सम्म० उक्क० पदेसमुदी० बारसक०-णवणोक० सिया असंखेजगुणहीणं । एवं सम्मामि० ।
$ २१६. अणंताणु०कोधस्स उक्क० पदे० उदीरेंतो मिच्छ० णिय० तं तु चउट्ठाणपदिदं । तिण्हं कोहाणं णिय० अणुक्क० असंखे गुणहीणं । णवणोक० सिया० असंखे०गुणहीणं । एवं तिण्हं कसायाणं ।।
२१७. अपञ्चक्खाणकोह० उक० पदेसमुदीरेंतो दोण्हं कोहाणं णिय० असंखे०विचार कर कथन करना चाहिए यह इस सूत्रका तात्पर्य है। इसलिए इस सूत्र द्वारा प्राप्त हुए अर्थके विषयमें श्रोताओंको निर्णय उत्पन्न करनेके लिए उच्चारणाको बतलाते हैं । यथा... २१४. सन्निकर्ष दो प्रकारका है-जघन्य और उत्कृष्ट । उत्कृष्टका प्रकरण है। निर्देश दो प्रकारका है-ओघ और आदेश। ओघसे मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करनेवाला जीव अनन्तानुबन्धि चतुष्कका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है। अर्थात् किसी एकको एक कालमें उदीरक है। यदि उदीरक है तो वह कदाचित् उत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है और कदाचित् अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है। यदि अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा चतुःस्थान पतित अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है। बारह कषाय और नौ नोकषायोंका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है । यदि उदीरक है तो उत्कृष्ट की अपेक्षा असंख्यात गुणहीन अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है।
5२१५. सम्यक्वकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करनेवाला जीव बारह कषाय और नौ नोकपायोंका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है । यदि उदीरक है तो उत्कृष्ट की अपेक्षा असंख्यात गुणहीन अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है। इसी प्रकार सम्यग्मिथ्यात्वको मुख्यकर सन्निकर्षे जानना चाहिए।
$ २१६. अनन्तानुबन्धी क्रोधकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करनेवाला जीव मिथ्यात्वका नियमसे उदीरक है जो कदाचित् उत्कृष्ट प्रदेश उदीरक और कदाचित् अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है। यदि अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा चतुःस्थान पतित अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है। तीन क्रोधोंका नियमसे उदीरक है जो उत्कृष्टकी अपेक्षा असंख्यात गुणहीन अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है। नौ नोकषायोंका कदाचित् उदीरक है और कदाचित अनुदीरक है। यदि उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा असंख्यात गुणहीन अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है। इसी प्रकार अनन्तानुबन्धी मान आदि तीन कषायोंको मुख्यकर सन्निकर्ष जानना चाहिए।
६२१७. अप्रत्याख्यान क्रोधकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करनेवाला जीव दो क्रोधोंका नियमसे उदीरक है जो उत्कृष्टकी अपेक्षा असंख्यात गुणहीन अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा करता है।