Book Title: Kasaypahudam Part 11
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[ वेदगो ७
उक्क० अंतोमुहुत्तं । एवमित्थि वेद - पुरिसवेद० । णवरि अणुक्क० जह० एस ०, उक० अणंतकालमसंखेज्जा पोग्गलपरियट्टा । एवं णवुंस० । णवरि अणुक्क० जह० एस ०, कोड धत्तं ।
उक्क ०
$ १६१. पंचिदियतिरिक्खतिये मिच्छ० - अट्ठक० उक्क० जह० अंतोमु०, उक्क० पुव्वकोडिपुधत्तं । अणुक्क० तिरिक्खोघं । सम्मामि • उक्क० अणुक० जह० अंतोमु०, उक्क० सगट्ठिदी । एवं सम्म० । णवरि उक्क० णत्थि अंतरं । अट्ठक० - छण्णोक० उक्क० पदेसुदी ० जह० एयस०, उक्क० पुन्त्रकोडिपुधत्तं । अणुक्क० जह० एस ०, उक्क० अंतोमु० । तिहं वेदाणमुक्क० अणुक्क० पदेसुदी० जह० एयस०, उक्क० पुव्वकोडि
धत्तं । वरि पञ्जत्त० इत्थवे० णत्थि । जोणिणीसु पुरिस०- बुस० णत्थि । इत्थवे ० अणुक्क० जह० एयस०, उक्क० आवलि० असंखे० भागो । सम्म० उक्क०
उत्कृष्ट अन्तरकाल कुछ कम अर्ध पुद्गल परिवर्तनप्रमाण है । अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरकका जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल अन्तर्मुहूर्त है। इसी प्रकार स्त्रीवेद और पुरुषवेदकी अपेक्षा जानना चाहिए। इतनी विशेषता है कि इनके अनुत्कृष्ट प्रदेश उदोरकका जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल अनन्त काल है जो असंख्यात पुद्गल परिवर्तनोंके बराबर है। इसी प्रकार नपुंसकवेदकी अपेक्षा जानना चाहिए । इतनी विशेषता है कि इसके अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरकका जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल पूर्वकोटिपृथक्त्वप्रमाण है ।
विशेषार्थ — तिर्योंमें अन्तिम आठ कषायों और नौ नोकषायोंके उत्कृष्ट स्वामित्वका जो निर्देश किया है उसे ध्यानमें रख कर यहाँ उनके उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरकका जघन्य और उत्कृष्ट अन्तरकाल घटित कर लेना चाहिए । इसी प्रकार अन्य प्ररूपणा भी स्वामित्व और काल आदिका विचार कर घटित कर लेनी चाहिए । विशेष स्पष्टीकरण जिस प्रकार नरकगतिमें एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकालका विचार करते समय कर आये हैं उसी न्याय से यहाँ भी कर लेना चाहिए ।
$ १६१. पचेन्द्रिय तिर्यञ्चत्रिकमें मिथ्यात्व और आठ कषायोंके उत्कृष्ट प्रदेश उदीरकका जघन्य अन्तरकाल अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट अन्तरकाल पूर्वकोटिपृथक्त्वप्रमाण है । अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरकका भंग सामान्य तिर्यञ्चोंके समान है । सम्यग्मिथ्यात्वके उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरकका जघन्य अन्तरकाल अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट अन्तरकाल अपनी-अपनी स्थितिप्रमाण है । इसी प्रकार सम्यक्त्वकी अपेक्षा जानना चाहिए । इतनी विशेषता है कि इसके उत्कृष्ट प्रदेश उदीरकका अन्तरकाल नहीं है। आठ कषाय और छह नोकषायोंके उत्कृष्ट प्रदेश उदीरकका जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल पूर्वकोटिपृथक्त्वप्रमाण है। अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरकका जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर अन्तर्मुहूर्त है। तीन वेदोंके उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरकका जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल पूर्वकोटिपृथक्त्वप्रमाण है । इतनी विशेषता है कि पर्याप्तकों में
वेद नहीं है तथा योनिनियोंमें पुरुषवेद और नपुंसकवेद नहीं है । तथा योनिनियों में स्त्रीवेदके अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरकका जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल