Book Title: Kasaypahudam Part 11
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[वेदगो ७ वाण०-जोदिसि० सव्वपय० उक्क० अणुक्क० पदे० उदीर० केत्ति० ? असंखेजा।
१७९. तिरिक्खेसु मिच्छ०-सोलसक०-सत्तणोक० उक्क० पदे० केत्ति ? असंखेजा । अणुक्क० के० ? अणंता। सम्मत्त० ओघं । सम्मामिच्छत्त-इत्थिवे०पुरिसवे० उक्क० अणुक्क० के० ? असंखेजा । मणुसेसु मिच्छ०-सोलराक०-सत्तणोक० उक्क० पदे० के० ? संखेजा । अणुक्क० पदे० के० ? असंखेजा । सम्म०-सम्मामि०इथिवेद-पुरिसवेद० उक्क० अणुक्क० पदे० के० संखेजा। पजत्त-मणुसिणी-सव्वट्ठदेवा० सव्वपयडी० उक्क० अणुक्क० पदे० के० ? संखेजा । एवं जाव।
१८०. जह० पयदं । दुविहो णिदेसो-ओघेण आदेसेण य । ओघेण मिच्छ०सोलसक०-सत्तणोक० जहे० पदे० के० ? असंखेजा। अजह० के० ? अणंता । सम्म०-सम्मामि०-इस्थिवेद-पुरिसवेद० जह० अजह० पदे० के० ? असंखेजा। एवं तिरिक्खा० । सव्वणिरय-सव्वपंचिंदियतिरिक्ख-मणुसअपज०-देवा जाव अवराजिदा त्ति सव्वपय० जह० अजह० के० ? असंखेजा। मणुसतिय-सव्वट्ठदेवा० उकस्सभंगो । एवं जाव० ।
ज्योतिषी देवोंमें सब प्रकृतियोंके उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं।
$ १७९. तिर्यञ्चोंमें मिथ्यात्व, सोलह कषाय और सात नोकपायोंके उत्कृष्ट प्रदेश उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक जीव कितने हैं ? अनन्त हैं। सम्यक्त्वका भंग ओघके समान है। सम्यग्मिथ्यात्व, स्त्रीवेद और पुरुषवेदके उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक जीव कितने हैं।? असंख्यात हैं । सामान्य मनुष्योंमें मिथ्यात्व, सोलह कषाय और सात नोकषायोंके उत्कृष्ट प्रदेश उदीरक जीव कितने हैं ? संख्यात हैं। अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं । सम्यक्त्व, सम्यग्मिथ्यात्व, स्त्रीवेद और पुरुषवेदके उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक जीव कितने हैं ? संख्यात हैं । मनुष्य पर्याप्त, मनुष्यिनी और सर्वार्थसिद्धिके देवोंमें सब प्रकृतियोंके उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट प्रदेश उदीरक जीव कितने हैं ? संख्यात हैं। इसी प्रकार अनाहारक मार्गणा तक जानना चाहिए ।
$ १८०. जघन्यका प्रकरण है। निर्देश दो प्रकारका है-ओघ और आदेश। ओघसे मिथ्यात्व, सोलह कषाय और सात नोकषायोंके जघन्य प्रदेश उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात है। अजघन्य प्रदेश उदीरक जीव कितने है ? अनन्त है। सम्यक्त्व, सम्यग्मिथ्यात्व, स्त्रीवेद और पुरुषवेदके जघन्य और अजघन्य प्रदेश उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। इसी प्रकार तिर्यञ्चोंमें जानना चाहिए। सब नारकी, सव पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च, मनुष्य अपर्याप्त और सामान्य देवोंसे लेकर अपराजित विमान तकके देवोंमें सब प्रकृतियोंके जघन्य और अजघन्य प्रदेश उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। मनुष्यत्रिक और सर्वार्थसिद्धिके देवों में उत्कृष्टके समान संग है । इसी प्रकार अनाहारक मार्गणा तक जानना चाहिए।
१. आ०-ता प्रत्योः उक्क० इति पाठः ।