Book Title: Kasaypahudam Part 11
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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गा० ६२]
उत्तरपयडिपदेसउदीरणाए सामित्त कस्स ? अण्णद० समयोहियावलियअक्खीणदंसणमोहस्स। सम्मामि० उक्क० पदेसुदी. कस्स १ अण्णद० सम्मत्ताहिमुहस्स सव्वविसुद्धस्स चरिमसमयसम्मामिच्छाइट्ठिस्स । अपञ्चक्खाण०४ उक्क० पदेसुदी० कस्स ? अण्णद० संजमाहिमुहस्स सव्वविसुद्धस्स चरिमसमयसम्माइट्ठिस्स । एवं पञ्चक्खाण०४ । णवरि चरिमसमयसंजदासंजदस्स । चदुसंजलण-तिण्णिवेद० उक्क० पदेसुदी० कस्स ? अण्णद० खवगस्स समयाहियावलियचरिमसमयउदीरगस्स । छण्णोक० उक्क० पदेसुदी० कस्स ? अण्णद० चरिमसमयअपुव्वकरणस्स सव्वविसुद्धस्स । एवं मणुसतिये । णवरि वेदा जाणियन्वा ।
$ ९८. आदेसेण रइय० मिच्छ० उक० पदेसुदी० कस्स ? अण्णद० पढमसम्मत्ताहिमुहस्स समयाहियावलियचरिमसमयमिच्छाइडिस्स तस्स उक्क० पदेसुदी० । अणंताणु०४ उक० पदेसुदी० कस्स ? अण्णद० पढमसम्मत्ताहिमुहस्स चरिमसमयमिच्छाइद्विस्स । सम्म०-सम्मामि० ओघं । बारसक०-सत्तणोक० उक्क० पदेसुदी० कस्स ? अण्णद० सम्माइडिस्स सव्वविसुद्धस्स तप्पाओग्गविसुद्धस्स वा । एवं पढमाए । विदियादि सत्तमा त्ति एवं चेव । णवरि सम्म० बारसक०भंगो।
5 ९९. तिरिक्खेसु मिच्छत्त-अणंताणु०४ उक्क० पदेसुदी० कस्स ? अण्णद. होती है । सम्यग्मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा किसके होती है ? सम्यक्त्वके अभिमुख हुए सर्वविशुद्ध अन्तिम समयवर्ती अन्यतर सम्यग्मिथ्यादृष्टिके होती है। अप्रत्याख्यानावरण चार कषायोंकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा किसके होती है ? अन्यतर संयमके अभिमुख हुए सर्वविशुद्ध अन्तिम समयवर्ती सम्यग्दृष्टिके होती है । इसी प्रकार प्रत्याख्यानावरण चार कषायोंकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणाका स्वामित्व जानना चाहिए। इतनी विशेषता है कि अन्तिम समयवर्ती संयतासंयतके कहना चाहिए । चार संज्वलन और तीन वेदोंकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा किसके होती है ? समयाधिक आवलिके शेष रहने पर अन्तिम समयवर्ती उदीरक अन्यतर क्षपकके होती है । छह नोकषायोंकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा किसके होती है ? अपूर्वकरणके अन्तिम समयमें विद्यमान अन्यतर सर्वविशुद्ध क्षपकके होती है। इसी प्रकार मनुष्यत्रिकमें जानना चाहिए । इतनी विशेषता है कि अपना-अपना वेद जान लेना चाहिए।
६९८. आदेशसे नारकियों में मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा किसके होती है ? जो प्रथम सम्यक्त्वके अभिमुख हे, मिथ्यात्वके एक समय अधिक एक आवलि काल शेष रहने पर जो अन्तिम समयवर्ती उदीरक है उस अन्यतर मिथ्यादृष्टिके उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा होती है। अनन्तानुबन्धी चतुष्ककी उत्कृष्ट प्रदेश-उदीरणा किसके होती है ? प्रथम सम्यक्त्वके अभिमुख अन्यतर अन्तिम समयवर्ती मिथ्यादृष्टिके होती है। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वका भंग ओघके समान है । बारह कषाय और सात नोकषायोंकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा किसके होती है ? अन्यतर सर्व विशुद्ध अथवा तत्प्रायोग्य विशुद्ध सम्यग्दृष्टिके होती है। इसी प्रकार पहली प्रथिवीमें जानना चाहिए। दूसरी पृथिवीसे लेकर सातवीं पृथिवी तक इसी प्रकार है। इतनी विशेषता है कि इनमें सम्यक्त्वका भंग बारह कषायोंके समान है।
$९९. तिर्यश्चोंमें मिथ्यात्व और अनन्तानुबन्धी चार कषायोंकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा किसके होती है ? संयमासंयमके अभिमुख हुए सर्व विशुद्ध अन्यतर अन्तिम समयवर्ती