Book Title: Kasaypahudam Part 11
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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गा० ६२] उत्तरपयडिअणुभागउदीरणाए परिमाणाणुगमो
२१८. मणुसेसु मिच्छ०-सोलसक०-सत्तणोक० उक्क. अणुभागु० असंखे०भागो। अणुक्क० असंखे०भागा । सम्म०-सम्मामि०-इत्थिवेद-पुरिसवेद० उक्क० अणु०भागु० संखे०भागो। अणुक० संखेजा भागा। मणुसपज०-मणुसिणी०-सव्वट्ठदेवा० सव्वपय० उक्क० अणुभागुदी० सव्वजी० संखे०भागो। अणुक० संखे०भागा । एवं जाव० । एवं जहण्णयं णि णेदव्वं ।।
$ २१९. परिमाणाणु० दुविहं-जह० उक्क० । एक्कस्से पयदं । दुविहो णि०ओघेण आदेसेण य । ओघेण मिच्छ०-सोलसक०-सत्तणोक० उक्क. अणुभागुदी० केत्तिया ? असंखेजा । अणुक० केत्तिया ? अणंता। सम्म०-सम्मामि०-इथिवेदपुरिसवेद० उक्क० अणुक्क० के० ? असंखेज्जा । एवं तिरिक्खा० ।
२२०. सव्वणिरय०-सव्यपंचिंदियतिरिक्ख-मणुसअपञ्ज०-देवा जाव अवराजिदा त्ति सव्वपय० उक्क० अणुक० अणुभागुदीर० केत्तिया ? असंखेजा। मणुसेसु मिच्छ०-सोलसक०-सत्तणोक० उक्क० के० ? संखेजा । अणुक्क० के० ? असंखेजा । सम्म०-सम्मामि०-इत्थिवे०-पुरिस० उक्क० अणुक्क० के० ! संखेज्जा । मणुसपज०मणुसिणी-सव्वट्ठदेवा० सव्वपय० उक्क० अणुक्क० अणुभागुदी० के० ? संखेज्जा ।
$ २१८. मनुष्योंमें मिथ्यात्व, सोलह कषाय और सात नोकषायोंके उत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीव सब जीवोंके असंख्यातवें भागप्रमाण हैं तथा अनुत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीव असंख्यात बहुभागप्रमाण हैं । सम्यक्त्व, सम्यग्मिथ्यात्व, स्त्रीवेद और पुरुषवेदके उत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीव सब जीवोंके संख्यातवें भागप्रमाण हैं तथा अनुत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीव संख्यात बहुभागप्रमाण हैं। मनुष्य पर्याप्त, मनुष्यिनी और सर्वार्थसिद्धिके देवोंमें सब प्रकृतियोंके उत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीव सब जीवोंके संख्यातवें भागप्रमाण है तथा अनुत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीव संख्यात बहुभागप्रमाण हैं। इसी प्रकार अनाहारक मार्गणा तक जानना चाहिए । तथा इसी प्रकार जघन्यको भी जानना चाहिए।
२१९. परिमाण दो प्रकारका है-जघन्य और उत्कृष्ट । उत्कृष्टका प्रकरण है। निर्देश दो प्रकारका है-ओघ और आदेश। ओघसे मिथ्यात्व, सोलह कषाय और सात नोकषायोंके उत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। अनुत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? अनन्त हैं। सम्यक्त्व, सम्यग्मिथ्यात्व, स्त्रीवेद और पुरुषवेदके उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। इसी प्रकार तिर्यश्चोंमें जानना. चाहिए।
२२०. सब नारकी, सब पश्चेन्द्रिय तिर्यश्च, मनुष्य अपर्याप्त और सामान्य देवोंसे लेकर अपराजित विमान तकके देवोंमें सब प्रकृतियोंके उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। मनुष्योंमें मिथ्यात्व, सोलह कषाय और सात नोकषायोंके उत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? संख्यात हैं। अनुत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। सम्यक्त्व, सम्यग्मिथ्यात्व, स्त्रीवेद और पुरुषवेदके उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? संख्यात हैं। मनुष्य पर्याप्त, मनुष्यिनी और सर्वार्थसिद्धिके देवोंमें सब प्रकृतियोंके उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीव
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