Book Title: Kasaypahudam Part 11
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[ वेदगो ७
$ ४६१. परिमाणाणुगमेण दुविहो णिद्देसो- ओघेण आदेसेण य । ओघेण मिच्छ० - सोलसक० - सत्तणोक० सव्वपदा० केतिया : अनंता । णवरि मिच्छ०णवुंस० अवत्त० केत्ति ० १ असंखेजा । सम्म० - सम्मामि ० - इत्थिवे ० - पुरिसवे ० सव्वपदा० केत्ति ० १ असंखेजा । एवं तिरिक्खा ० ।
$ ४६२. सव्वणिरय - सव्वपंचिदियतिरिक्ख - मणुसअप ० - देवा जाव णवगेवजा ति सव्वपयडी० सव्वपदा० केत्तिया ? असंखेज्जा । मणुसाणं पंचिदियतिरिक्खभंगो । णवरि मिच्छ०- णवुंस० अवत० इत्थिवे० - पुरिसवे ० - सम्म ० - सम्मामि० सव्वपदा० के० ९ संखेजा । मणुसपञ्ज० - मणुसिणी - सव्वदेवा सव्वपय० सव्वपदा० केत्ति० १ संखे | अणुदिसादि अवराजिदा त्ति सव्वपय० सव्वपदा० के० १ असंखेजा । णवरि सम्म० अवत्त० केत्ति ० १ संखेजा । एवं जाव० ।
$ ४६३. खेत्ताणुगमेण दुविहो णिद्देसो- ओघेण आदेसेण य । ओघेण मिच्छ०सोलसक० - सत्तणोक० ६० सव्वपदा० सव्वलोगे । णवरि मिच्छ०-ण स० अवत्त० लोग० • असंखे ० भागे । सम्म० - सम्मामि ० - इत्थि वेद - पुरिसवेद० सव्वपदा० लोग • असंखे ० भागे ।
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$ ४६१. परिमाणानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है-ओघ और आदेश । ओघसे मिथ्यात्व, सोलह कषाय और सात नोकषायोंके सब पदोंके अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं । अनन्त हैं । इतनी विशेषता है कि मिथ्यात्व और नपुंसकवेदके अवक्तव्य अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं । सम्यक्त्व, सम्यग्मिथ्यात्व, स्त्रीवेद और पुरुषवेदके सब पदरूप अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं । इसी प्रकार तिर्यों में जानना चाहिए ।
$ ४६२. सब नारकी, सब पचेन्द्रिय तिर्यन, मनुष्य अपर्याप्त और सामान्य देवोंसे लेकर नौ प्रैवेयक तक के देवोंमें सब प्रकृतियोंके सब पदोंके अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। मनुष्यों में पचेन्द्रिय तिर्योंके समान भंग है । इतनी विशेषता है कि मिथ्यात्व और नपुंसकवेदके अवक्तव्य अनुभागके उदीरक जीव तथा स्त्रीवेद, पुरुषवेद, सम्यक्त्व और सम्यग्मिध्यात्वके सब पद- अनुभागके उदीरक जीव कितने है ? संख्यात हैं । मनुष्य पर्याप्त, मनुष्यनी और सर्वार्थसिद्धिके देवोंमें सब प्रकृतियोंके सब पद- अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? संख्यात हैं । अनुदिशसे लेकर अपराजित विमान तकके देवों में सब प्रकृतियोंके सब पद- अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं । इतनी विशेषता है कि सम्यक्त्वके अवक्तव्य अनुभाग के उदीरक जीव कितने हैं ? संख्यात हैं । इसी प्रकार अनाहारक मार्गणा तक जानना चाहिए ।
$ ४६३. क्षेत्रानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है— ओघ और आदेश । ओघसे मिथ्यात्व, सोलहु कषाय और सात नोकषायोंके सब पद- अनुभागके उदीरक जीवोंका क्षेत्र सर्व लोकप्रमाण है । इतनी विशेषता है कि मिध्यात्व और नपुंसकवेदके अवक्तव्य अनुभागके उदीरक जीवोंका क्षेत्र लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण है । सम्यक्त्व, सम्यग्मिथ्यात्व, स्त्रीवेद और पुरुषवेदके सब पद- अनुभागके उदीरक जीवोंका क्षेत्र लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण है । इसी प्रकार तिर्यों में जानना चाहिए। शेष गतियों में सब प्रकृतियोंके सब पद- अनुभागके