Book Title: Kasaypahudam Part 11
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
View full book text
________________
गा० ६२ ]
मूलपयडिपदेसउदीरणाए णाणाजीवेहिं अंतराणुगमो
१९९
मोह ० उक्क० जह० एस ०, उक्क० असंखेजा लोगा । अणुक्क० णत्थि अंतरं । एवं सव्वणिरय - सव्वतिरिक्ख - सव्वदेवा ति । मणुसअपज्ज० मोह ० उक्क० णिरयभंगो । अणुक्क० जह० एयस०, उक्क० पलिदो० असं० भागो । एवं जाव० ।
$ ४६. जह० पदं । दुविहो णिद्देसो-- ओघेण आदेसेण य । ओघे० मोह ० जह० जह० एस ०, उक्क० असंखेजा लोगा । अजह० णत्थि अंतरं । एवं सव्वणिरयसम्बतिरिक्ख - मणुसतिय - सव्वदेवा ति । मणुसअपज० मोह ० जह० जह० एस ०, उक्क० असंखे० लोगा । अजह० जह० एगस ०, उक्क० पलिदो० असं० भागो । एवं जाव० ।
जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल असंख्यात लोकप्रमाण है । अनुत्कृष्ट प्रदेशोंके उदीरकोंका अन्तरकाल नहीं है । इसी प्रकार सब नारकी, सब तिर्यञ्च और सब देवों में जानना चाहिए । मनुष्य अपर्याप्तकों में मोहनीयके उत्कृष्ट प्रदेशोंके उदीरकोंका भंग नारकियोंके समान है । अनुत्कृष्ट प्रदेशोंके उदीरकोंका जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल पल्योपमके असं ख्यातवें भागप्रमाण है । इसी प्रकार अनाहारक मार्गणा तक जानना चाहिए ।
विशेषार्थ - - यहाँ क्षपकश्रेणिके जघन्य और उत्कृष्ट अन्तरकालको ध्यान में रख कर घसे और मनुष्यत्रिकमें उक्त अन्तरकाल कहा है । मात्र मनुष्यिनियों में क्षपकश्रेणिका उत्कृष्ट अन्तरकाल वर्षपृथक्त्वप्रमाण है, इसलिए इनमें मोहनीयके उत्कृष्ट प्रदेशोंके उदीरकोंका उत्कृष्ट अन्तरकाल वर्षपृथक्त्वप्रमाण कहा है। शेष गतियोंमें मोहनीयके उत्कृष्ट प्रदेशोंकी उदीरणाके योग्य परिणामोंके जघन्य और उत्कृष्ट अन्तरकालको ध्यानमें रख कर मोहनीयके उत्कृष्ट प्रदेशोंके उदीरकोंका जघन्य अन्तरकाल एक समय और उत्कृष्ट अन्तरकाल असंख्यात लोकप्रमाण कहा है। शेष कथन सुगम है ।
$ ४६. जघन्यका प्रकरण है। निर्देश दो प्रकारका है— ओघ और आदेश । ओघसे मोहनीय के जघन्य प्रदेशोंके उदीरकोंका जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल असंख्यात लोकप्रमाण है । अजघन्य प्रदेशोंके उदीरकोंका अन्तरकाल नहीं है । इसी प्रकार सब नारकी, सब तिर्यन, मनुष्यत्रिक और सब देवोंमें जानना चाहिए । मनुष्य अपर्याप्तकों में मोहनीयके जघन्य प्रदेशोंके उदीरकोंका जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल असंख्यात लोकप्रमाण है । अजघन्य प्रदेशोंके उदीरकोंका जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल पल्योपमके असंख्यातवें भागप्रमाण है । इसी प्रकार अनाहारक मार्गणा तक जानना चाहिए ।
विशेषार्थ – यहाँ मोहनीयके जघन्य प्रदेशोंकी उदीरणाके योग्य परिणामोंके जघन्य और उत्कृष्ट अन्तरकालको ध्यानमें रख कर सर्वत्र ओघसे और चारों गतियोंमें मोहनीयके जघन्य प्रदेशोंके उदीरकोंका जघन्य अन्तरकाल एक समय और उत्कृष्ट अन्तरकाल असंख्यात लोकप्रमाण कहा है। शेष कथन सुगम है ।