Book Title: Kasaypahudam Part 11
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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उत्तरपयडिपदेसउदीरणाए सामित्तं
* अणंताणुबंधीणं उक्कस्सिया पदेसुदीरणा कस्स ?
$ ७८. सुगमं ।
* संजमाहिमुहचरिमसमयमिच्छाइट्ठिस्स सव्वविस द्धस्स ।
गा० ६२ ]
२१३
$ ७९. एदस्स सुत्तस्स मिच्छत्तसामित्तसुत्तस्सेव वक्खाणं कायव्वं, सामित्तविसयमेदाभावाद |
* अपच्चक्खाणकसायाणमुक्कस्सिया पदेसउदीरणा कस्स ?
८०. सुगमं ।
* संजमाहिमुहचरिमसमयअसंजदसम्माइट्ठिस्स सव्वविस द्धस्स ईसिमज्झिमपरिणामस्स वा ।
$ ८१. जो असंजदसम्माइट्ठी अण्णदरकम्मंसिओ संजमाहिमुह होण अनंतगुणाए fruise अंतमुत्तकालं विसुद्धो तस्स चरिमसमये वट्टमाणगस्स पयदुकस्स सामित्तं हो, तो अण्णत्थापचक्खाणपदेसुदीरणापाओग्गुकस्सविसोहीए अणुवलंभादो । तस्स पुण विसेसणंतरमेदं सव्वविसुद्धस्से त्ति हेट्ठिमासेसविसोहीहिंतो अनंतगुणाए चरिमुकस्सविसोहीए परिणदस्से त्ति भणिदं होदि । ण केवलमेसो एयवियप्पो चैव परिणामो . उक्कस्सपदेसुदीरणाए कारणं, किंतु अण्णो वि परिणामवियप्पो अत्थि त्ति पदुप्पायणमाह – ईसिमज्झिमपरिणामस्स वा । एतदुक्तं भवति — संजमाहिमुहचरिमसमय
* अनन्तानुबन्धियोंकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा किसके होती है ? $ ७८. यह सूत्र सुगम है ।
* संयमके अभिमुख हुए अन्तिम समयवर्ती सर्वविशुद्ध मिथ्यादृष्टिके होती है ।
$ ७९. इस सूत्रका मिध्यात्वके स्वामित्व विषयक सूत्रके समान ही व्याख्यान करना चाहिए, क्योंकि इन दोनोंमें स्वामित्वविषयक भेद नहीं पाया जाता ।
* अप्रत्याख्यानावरण कषायोंकी उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा किसके होती है ? $ ८०. यह सूत्र सुगम है ।
* सर्वविशुद्ध अथवा ईषत् मध्यम परिणामवाले संयम के अभिमुख हुए अन्तिम समयवर्ती असंयतसम्यग्दृष्टिके होती है ।
$ ८१. जो असंयतसम्यग्दृष्टि अन्यतर कर्माशिक जीव संयमके अभिमुख होकर अन्तमुहूर्त काल तक अनन्तगुणी विशुद्धिसे विशुद्ध हुआ है उसके अन्तिम समयमें प्रकृत उत्कृष्ट स्वामित्व होता है, क्योंकि इसके सिवाय अन्यत्र अप्रत्याख्यानावरण कषायोंकी प्रदेश उदीरणाके योग्य उत्कृष्ट विशुद्धि नहीं पाई जाती । तथा उसका दूसरा विशेषण यह है - सव्ववियुद्धस्स - 'अधस्तन समस्त विशुद्धियोंसे अनन्तगुणी अन्तिम उत्कृष्ट विशुद्धिसे परिणत हुए जीवके' यह उक्त कथनका तात्पर्य है । केवल यह एक प्रकारका ही परिणाम उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणाका कारण नहीं है, किन्तु अन्य भी परिणाम विकल्प है इस बातका कथन करनेके लिए सूत्रमें कहा हैईसिमज्झिमपरिणामस्स वा । इसका यह तात्पर्य है कि संयम अभिमुख हुए अन्तिम समयवर्ती