Book Title: Kasaypahudam Part 11
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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गा० ६२ ]
उत्तरपयडिअणुभागउदीरणाए भुजगारे परिमाणाणुगमो
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$ ३९५. भागाभागाणुगमेण दुविहो णिदेसो- ओषेण आदेसेण य । ओघेण मिच्छ० - णवुंस० भुज० दुभागो सादि० । अप्प० दुभागो देणो । अवट्ठि ० असंखे ० भागो । अवत्त • अनंतभागो । एवं सम्म० - सम्मामि ० - सोलसक० - णवणोक० । वरि अवत्त • असंखे० भागो । एवं तिरिक्खा० ।
९ ३९६. सव्वणिरय ० - सब्ब - पंचिदियतिरिक्ख० - मणुसअपअ० - देवा भवणादि जाव अवराजिदा ति सव्वपयडी० भुज० दुभागो सादिरे० । अप्प० दुभागो देसुणो । सेसपदा० असंखे ० भागो । मणुसेसु पंचिदियतिरिक्खभंगो । नवरि सम्म ०० - सम्मामि० इत्थवेद- पुरिसवेद ० अवडि०६० - अवत्त० संखे ० भागो । मणुसपअ० - मणुसिणी - सव्वदेवा ०. सव्जपय० भुज० दुभागो सादिरेयो । अप्प० दुभागो देसूणो । सेसपदा० संखे ० भागो । एवं जाव० ।
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९ ३९७. परिमाणाणुगमेण दुविहो णिहेसो- ओषेण मिच्छ०- णव स० तिष्णि पदा० अनंता । अवत्त० असंखेआ इत्थि वेद- पुरिसवेद० सव्वपदा० केलिया ? असंखेआ । सव्वपदा० के० ? अनंता । एवं तिरिक्खा ० ।
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आदेसेण य । ओषेण
सम्म० - सम्मामि ०सोलसक० - छण्णोक ०
$ ३९५. भागाभागानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है-ओघ और आदेश । ओघसे मिध्यात्व और नपुंसक वेदके भुजगार पदके उदीरक जीव साधिक द्वितीय भागप्रमाण हैं। अल्पतर पदके उदीरक जीव कुछ कम द्वितीय भागप्रमाण हैं । अवस्थित पदके उदीरक जीव असंख्यातवें भागप्रमाण हैं । अवक्तव्य पदके उदीरक जीव अनन्तवें भागप्रमाण हैं । इसी प्रकार सम्यक्त्व, सम्यग्मिथ्यात्व, सोलह कषाय और नौ नोकषायोंकी अपेक्षा जानना चाहिए । इतनी विशेषता है कि इनके अवक्तव्य पदके उदीरक जीव असंख्यातवें भागप्रमाण हैं। इसी प्रकार सामान्य तिर्यों में जानना चाहिए ।
$ ३९६. सब नारकी, सब पचेन्द्रिय तिर्यख, मनुष्य अपर्याप्त, सामान्य देव और भवनवासियोंसे लेकर अपराजित विमान तकके देवोंमें सब प्रकृतियोंके भुजगार पदके उदीरक जीव साधिक द्वितीय भागप्रमाण हैं। अल्पतर पदके उदीरक जीव कुछ कम द्वितीय भागप्रमाण हैं । शेष पदोंके उदीरक जीव असंख्यातवें भागप्रमाण हैं । सामान्य मनुष्यों में पचेन्द्रिय तिर्योंके समान भंग है । इतनी विशेषता है कि सम्यक्त्व, सम्यग्मिध्यात्व, स्त्रीवेद और पुरुषवेदके अवस्थित और अवक्तव्य पदके उदीरक जीव संख्यातवें भागप्रमाण हैं। मनुष्य पर्याप्त, मनुष्यनी और सर्वार्थसिद्धिके देवोंमें सब प्रकृतियोंके भुजगार पदके उदीरक जीव साधिक द्वितीय भागप्रमाण हैं । अल्पतर पदके उदीरक जीव कुछ कम द्वितीय भागप्रमाण हैं। शेष पदोंके उदीरक जब संख्यातवें भागप्रमाण हैं। इसी प्रकार अनाहारक मार्गणा तक जानना चाहिए।
$ ३९७. परिमाणानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है - ओघ और आदेश । ओघसे मिथ्यात्व और नपुंसकवेदके तीन पदोंके उदीरक जीव अनन्त हैं। अवक्तव्य पदके उदीरक जीव असंख्यात हैं । सम्यक्त्व, सम्यग्मिथ्यात्व, स्त्रीवेद और पुरुषवेदके सब पदोंके उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। सोलह कषाय और छह नोकषायोंके सब पदोंके उदीरक जीव कितने हैं ? अनन्त हैं । इसी प्रकार सामान्य तिर्यों में जानना चाहिए ।
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