Book Title: Kasaypahudam Part 11
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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१०८ जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[ वेदगो७ णि तं तु छट्ठाणपदिदं० । छण्णोक० सिया० तं तु छट्ठाणप० । एवं पण्णारसक० ।
२६७. णवुस० उक्क० उदीरेंतो मिच्छ० णिय० तं तु छट्ठाणपदि० । सोलसक०-छण्णोक० सिया० तं तु छट्ठाणप० ।।
२६८. हस्स० उक्क० अणुभागमुदीरे० मिच्छ०-णवुस०-रदि० णिय० तं तु छट्ठाणप० । सोलसक०-भय-दुगुंछ० सिया० तं तु छट्ठाणप० । एवं रदीए । एवमरदि-सोगाणं ।
$ २६९. भय० उक्क० अणुभागमुदी० मिच्छ-णस० णि तं तु छट्ठाणप० । सोलसक०-पंचणोक० सिया० तं तु छट्ठाणप० । एवं दुगुंछाए । एवं सव्वणेरइय०। है और कदाचित् अनुदीरक है। यदि उदीरक है तो उत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है या अनुत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है। यदि अनुत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा छह स्थान पतित अनुत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करता है । इसी प्रकार पन्द्रह कषायोंको मुख्यकर सन्निकर्ष जानना चाहिए।
२६७. नपुसकवेदके उत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करनेवाला मिथ्यात्वका नियमसे उदीरक है। जो उत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है या अनुत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है। यदि अनुत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा छह स्थानपतित अनुत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करता है । सोलह कषाय और छह नोकषायोंका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है। यदि उदीरक है तो उत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है या अनुत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है । यदि अनुत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा छह स्थानपतित अनुत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करता है।
२६८. हास्यके उत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करनेवाला मिथ्यात्व, नपुंसकवेद और रतिका नियमसे उदीरक है । जो उत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है या अनुत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है । यदि अनुत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा छह स्थानपतित अनुत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करता है। सोलह कषाय, भय और जुगुप्साका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है। यदि उदीरक है तो उत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है या अनुत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है । यदि अनुत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा छह स्थानपतित अनुत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करता है । इसी प्रकार रतिको मुख्यकर सन्निकर्ष जानना चाहिए । तथा इसी प्रकार अरति ओर शोकको मुख्यकर सन्निकर्ष जानना चाहिए ।
$ २६९. भयके उत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करनेवाला मिथ्यात्व और नपुसकवेदका नियमसे उदीरक है । जो उत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है या अनुत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है। यदि अनुत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा छह स्थानपतित अनुत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करता है। सोलह कषाय और पाँच नोकषायोंका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है। यदि उदीरक है तो उत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है या अनुत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है। यदि अनुत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा छह स्थानपतित अनुत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करता है। इसी प्रकार जुगुप्साको मुख्यकर सन्निकर्ष जानना चाहिए । इसी प्रकार सब नारकियोंमें जानना चाहिए।
और कदा दीरक है
उदीरणा मोकको मुख्य