Book Title: Kasaypahudam Part 11
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
View full book text
________________
६३
गा०६२] उत्तरपयडिअणुभागउदीरणाए एगजीवेणकालो संकिलेसेण परिणमिय उक्कस्साणुभागुदीरगो जादो विदियसमए उक्स्ससंकिलेसक्खएणाणुकस्सभावमुवगओ लद्धो तस्स मिच्छत्तुकस्साणुभागोदीरणजहण्णकालो एगसमयमेत्तो।
* उकस्सेण वे समया।
$ १५६. तं कथं ? अणुकस्साणुभागुदीरगो उकस्ससंतकम्मिओ उक्कस्ससंकिलेसमावूरिय दोसु समएसु मिच्छत्तस्स उक्कस्साणुभागुदीरगो जादो। तदो से काले संकिलेसपरिक्खएणाणुकस्सभावे णिवदिदो लद्धो मिच्छत्तुक्कस्साणुमागुदीरगस्स उक्कस्सकालो विसमयमेत्तो, तत्तो परमुक्कस्ससंकिलेसस्सावट्ठाणाभावादो।
* अणुक्कस्साणुभागुदीरगो केवचिरं कालादो होदि ? ६१५७. मिच्छत्तस्से ति अहियारसंबंधो । सुगममण्णं । * जहणणेण एगसमओ।
$१५८. तं जहा—उक्कस्सट्ठिदिबंधकारणुक्कस्सज्झवसाणस्सासंखेजलोगमेत्ताणि अणुभागबंधपाओग्गज्झवसाणट्ठाणाणि होति । पुणो तत्थुक्कस्साणुभागबंधपाओग्गुक्कस्ससंकिलेसेण परिणमिय उक्कस्साणुभागमुदीरेमाणो परिणामवसेणेगसमयमणुकस्साणुभागमुदीरिय पुणो वि से काले उक्कस्ससंकिलेसपडिलभेणुकस्साणुभागुदीरगो जादो। लद्धो समयके लिए उत्कृष्ट संक्लेश परिणामसे परिणमकर उत्कृष्ट अनुभागका उदीरक हो गया तथा दूसरे समयमें उत्कृष्ट संक्लेशके क्षयसे अनुत्कृष्टभावको प्राप्त हो गया इस प्रकार मिथ्यात्वके उत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणाका जघन्य काल एक समय प्राप्त हो गया।
* उत्कृष्ट काल दो समय है। $ १५६. शंका-वह कैसे ?
समाधान-अनुत्कृष्ट अनुभागका उदीरक उत्कृष्ट सत्कर्मवाला जीव उत्कृष्ट संक्लेशको पूरित कर दो समय तक मिथ्यात्वके उत्कृष्ट अनुभागका उदीरक हो गया। इसके बाद तदनन्तर समयमें संक्लेशका क्षय होनेसे अनुत्कृष्टभावको प्राप्त हुआ । इस प्रकार मिथ्यात्वके उत्कृष्ट अनुभागके उदीरकका उत्कृष्ट काल दो समय प्राप्त हो गया, क्योंकि उसके आगे उत्कृष्ट संक्लेशके अवस्थानका अभाव है।
* अनुत्कृष्ट अनुभागके उदीरकका कितना काल है ? $ १५७. 'मिथ्यात्वके' इस प्रकार अधिकारका सम्बन्ध है । अन्य कथन सुगम है। * जघन्य काल एक समय है।
$ १५८. यथा—उत्कृष्ट स्थितिबन्धके कारणभूत उत्कृष्ट अध्यवसानके असंख्यात लोकप्रमाण अनुभागबन्धप्रायोग्य अध्यवसानस्थान होते हैं । पुनः वहाँ उत्कृष्ट अनुभागबन्धप्रायोग्य उत्कृष्ट संक्लेशसे परिणमकर उत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करनेवाला परिणामवश एक समयके लिए अनुत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा कर फिर भी तदनन्तर समयमें उत्कृष्ट संक्लेशकी प्राप्ति होनेसे उत्कृष्ट अनुभागका उदीरक हो गया । इस प्रकार मिथ्यात्वके अनुत्कृष्ट अनुभागके