Book Title: Karmagrantha Part 1 2 3 Karmavipaka Karmastav Bandhswamitva
Author(s): Devendrasuri, Sukhlal Sanghavi
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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कर्मग्रन्थभाग-१
१. जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर लोहे जैसा भारी हो वह 'गुरु
नामकर्म' है। २. जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर आक की रुई (अर्क-तूल) जैसा
हलका हो वह ‘लघु नामकर्म' है। ३. जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर मक्खन जैसा कोमल-मुलायम हो
उसे 'मृदुस्पर्श नामकर्म' कहते हैं। ४. जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर गाय की जीभ जैसा कर्कश-खुरदरा
हो, उसे 'कर्कश नामकर्म कहते हैं'। ५. जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर कमल-दण्ड या बर्फ जैसा ठंडा
हो, वह 'शीतस्पर्श नामकर्म' है। ६. जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर अग्नि के समान उष्ण हो वह
'उष्णस्पर्श नामकर्म' है। ७. जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर घी के समान चिकना हो वह
'स्निग्धस्पर्श नामकर्म' है। ८. जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर, राख के समान रुक्ष-रूखा हो __ वह 'रुक्षस्पर्शनामकर्म' है।
‘वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श की बीस प्रकृतियों में कौन प्रकृतियाँ शुभ और कौन अशुभ हैं, वह कहते हैं।' नीलकसिणं दुगंधं तित्तं कडुयं गुरुं खरं रुक्खं । सीयं च असुहनवगं इक्कारसगं सुभं सेसं ।।४२।।
(नील) नीलनाम, (कसिणं) कृष्णनाम, (दुगंधं) दुर्गन्धनाम, (तिक्तं) तिक्तनाम, (कडुयं) कटुनाम, (गुरु) गुरुनाम, (खरं) खरनाम, (रुक्खं) रुक्षनाम, (च) और (सीयं) शीतनाम यह (असुह नवंग) अशुभ-नवक है-अर्थात् नौ प्रकृतियाँ अशुभ हैं और (सेस) शेष (इक्कारसगं) ग्यारह प्रकृतियाँ (सुभं) शुभ हैं ।।४२।।
भावार्थ-वर्ण नाम, गन्ध नाम, रस नाम और स्पर्श नाम इन चारों की उत्तर-प्रकृतियाँ बीस हैं। बीस प्रकृतियों में नौ प्रकृतियाँ अशुभ और ग्यारह शुभ हैं।
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