Book Title: Karmagrantha Part 1 2 3 Karmavipaka Karmastav Bandhswamitva
Author(s): Devendrasuri, Sukhlal Sanghavi
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 339
________________ २६८ १२ १३ १३ १६ १६ १७ १९ २० २१ २२ २४ २४ २ ३ ३ ८ १७ १७ १८ १८ २० २४ २ २ तणुपज्जति तस तम्मिस्स तम्मिस्स तिय कसाय ति तेरस तेण तं तेअ तेर त्ति थावर थीतिग देवाउ दुहग देस देसाइ दु दस दुन्नि दो देवमणुआउ देविंदसूर नरय नपु Jain Education International परिशिष्ट कर्मग्रन्थ भाग - ३ तनुपर्याप्ति त्रस तन्मिश्र तन्मिश्र तृतीय कषाय त्रि त्रयोदशन् तेन तत् तेजस् त्रयोदशन् इति स्थावर सत्यानर्द्धि- त्रिक द देवायुष् दुर्भग देश देशादि द्वि दशन् द्वि مال کا द्वि थ नरक नपुंसक शरीर पर्याप्ति त्रसकाय औदारिक- मिश्र - काययोग वैक्रिय - मिश्र - काययोग तीसरा कषाय तीन तेरह इस से वह न तेजोलेश्या तेरह इस प्रकार स्थावर नामकर्म स्त्यानर्द्धि- त्रिक देवमनुजायुष् देव आयु तथा मनुष्य आयु देवेन्द्रसूरि देवेन्द्रसूरि देवायु कर्म दुर्भग नामकर्म देश विरति देशविरति आदि गुणस्थान दो दस दो दो नरकगति नामकर्म नपुंसकवेद मोहनीय For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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