Book Title: Karmagrantha Part 1 2 3 Karmavipaka Karmastav Bandhswamitva
Author(s): Devendrasuri, Sukhlal Sanghavi
Publisher: Parshwanath Vidyapith

Previous | Next

Page 337
________________ २६६ परिशिष्ट कर्मग्रन्थ भाग-३ १३ उरल उवसम औदारिक उपशम औदारिक काययोग औपशमिक सम्यक्त्व ऊण ऊन हीन एकेन्द्रिय एकेन्द्रियजाति नामकर्म इस प्रकार ल ओ ओघ अवधि-द्विक ओहि दुग सामान्य अवधि-द्विक कुखग कुखग कल्प-द्विक कप्प-दुग केइ केचित् कम्म केवलदुग कम्मण कार्मण केवल-द्विक कार्मण कर्मस्तव अशुभ विहायोगति नामकर्म दो देवलोक कोई कार्मण काययोग केवल-द्विक कार्मण काययोग कर्मस्तव नामक प्रकरण कम्मत्थय खइअ क्षायिक क्षायिक सम्यक्त्व गत्यादि ९ गइयाइ गुण गइतस गुण गति वगैरह गुणस्थान तेज:काय, वायुकाय गतित्रस १२ चउनवइ चतुर्नवति चतुर्दशशत चौरानवे एक सौ चौदह चउदसस Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346