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गाथा- अंक प्राकृत
३
अण
अणछवीस
६
७ अणचडवीस
९
११
१५
१७
१७
१७
१८
१९
२०
२१
२२
२३
आ
अणएकतीस
अजय
अपजत्त
अपज्ज
अणचउवीसाइ
अनाणतिग
अचक्खु
अहखाय
अजयाइ
अड
अजय गुण
अट्ठारसय
अजिणाहार
अभव्व
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परिशिष्ट कर्मग्रन्थ भाग- ३
परिशिष्ट ख
कोष
अ
हिन्दी
अनन्तानुबन्धि चतुष्क
अनन्तानुबन्धी आदि प्रकृतियाँ
अजिनमनुष्यायुष् तीर्थङ्कर नामकर्म तथा मनुष्यायु
छोड़ कर
अनचतुर्विंशति
अनन्तानुबन्धी आदि २४
प्रकृतियाँ
अनैकत्रिंशत्
संस्कृत
अन
अनषड्विंशति
अयत
अपर्याप्त
अपर्याप्त
अज्ञान त्रिक
अचक्षुष्
यथाख्यात
अयतादि
अनचतुर्विंशत्यादि अनन्तानुबन्धी
प्रकृतियाँ
मति आदि तीन अज्ञान
अचक्षुर्दर्शन
यथाख्यातचारित्र
अविरतसम्यग्दृष्टि आदि
अष्टन्
अयत गुण
अष्टादशशत
अजिनाहारक
अभव्य
अनन्तानुबन्धी आदि ३१
प्रकृतियाँ
अविरतसम्यग्दृष्टि जीव
अपर्याप्त
अपर्याप्त
आठ
२६
आदि २४
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अयतगुणस्थान
एक सौ अठारह
जिन नामकर्म तथा आहारक
द्विक रहित
अभव्य
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